औराई विधानसभा : बाढ़, बेरोजगारी और विकास पर होगी सियासी जंग, जातीय समीकरण कर सकते हैं उलटफेर

  • Post By Admin on Nov 01 2025
औराई विधानसभा : बाढ़, बेरोजगारी और विकास पर होगी सियासी जंग, जातीय समीकरण कर सकते हैं उलटफेर

मुजफ्फरपुर : बिहार विधानसभा चुनाव में मुजफ्फरपुर जिले की औराई सीट एक बार फिर सियासी दलों के लिए परीक्षा का मैदान बनने जा रही है। यहां हर चुनाव में बदलते जातीय समीकरण और स्थानीय मुद्दे उम्मीदवारों की जीत-हार का निर्धारण करते हैं। बाढ़, विकास, शिक्षा और रोजगार इस बार भी प्रमुख चुनावी मुद्दे बने हुए हैं।

औराई विधानसभा में औराई व कटरा प्रखंड की कुल 16 ग्राम पंचायतें शामिल हैं। यह इलाका पूरी तरह ग्रामीण है और गंडक व बागमती नदियों की बाढ़ से प्रभावित घाटी में स्थित है। हर साल आने वाली बाढ़ न केवल खेती-बारी को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि सैकड़ों गांवों के जीवन और आवागमन को भी ठप कर देती है। हालांकि, यहां की उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी धान, मक्का और सब्जियों की भरपूर पैदावार देती है। पशुपालन और डेयरी यहां के ग्रामीणों की अतिरिक्त आजीविका का बड़ा जरिया हैं।

भौगोलिक रूप से औराई मुजफ्फरपुर से 30 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। आसपास सीतामढ़ी, दरभंगा, समस्तीपुर और मोतिहारी जैसे प्रमुख शहर हैं, जबकि राजधानी पटना लगभग 95 किलोमीटर दूर है।

राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो 1967 में गठित औराई सीट अब तक 15 बार चुनाव देख चुकी है। इस दौरान जनता पार्टी और जदयू ने तीन-तीन बार, जबकि कांग्रेस, भाजपा, राजद और जनता दल ने दो-दो बार जीत हासिल की है। इस सीट की पहचान संतुलित मतदाताओं वाली सीट के रूप में रही है, जहां जनता ने कभी किसी एक दल को स्थायी समर्थन नहीं दिया।

2009 के उपचुनाव से लेकर अब तक यहां की सियासत दो नामों — भाजपा के राम सूरत राय और राजद के सुरेंद्र कुमार यादव — के इर्द-गिर्द घूमती रही है। 2009 में सुरेंद्र यादव ने जीत दर्ज की थी, 2010 में राम सूरत राय ने उन्हें हराया, 2015 में राजद ने वापसी की, और 2020 में फिर राम सूरत राय विजयी हुए। इस तरह पिछले एक दशक में औराई की राजनीति इन दो चेहरों की प्रतिद्वंद्विता का मंच बन चुकी है।

जातीय समीकरणों की बात करें तो यादव, भूमिहार, ब्राह्मण, मुसहर और कुशवाहा समुदाय यहां की राजनीति की धुरी हैं। यादव-मुस्लिम मतदाता पारंपरिक रूप से राजद के साथ रहते हैं, जबकि सवर्ण मतदाता भाजपा के समर्थन में माने जाते हैं। वहीं, पिछड़े और दलित वर्गों पर जदयू की पकड़ बनी हुई है।

विकास की दृष्टि से औराई कई वर्षों से बाढ़, कमजोर सड़क नेटवर्क, खराब स्वास्थ्य सेवाओं और सीमित रोजगार अवसरों से जूझ रही है। जनता की सबसे बड़ी अपेक्षा स्थायी बाढ़ समाधान, बेहतर अस्पतालों और गांव-गांव तक सड़क संपर्क की है।

चुनाव आयोग के 2024 के आंकड़ों के अनुसार, औराई की कुल आबादी 5.39 लाख और मतदाता संख्या 3.20 लाख है, जिनमें 1.70 लाख पुरुष, 1.50 लाख महिलाएं और 9 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल हैं।

बदलते राजनीतिक समीकरणों और स्थानीय मुद्दों के बीच औराई की सियासत इस बार किस करवट लेगी, यह आगामी चुनावी नतीजे तय करेंगे।