गणतंत्र की जननी को शत-शत नमन
- Post By Admin on Jan 25 2025

नई दिल्ली : भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों की जननी बिहार की भूमि है। इसने विश्व को प्रथम गणराज्य का उपहार दिया। यह वही पुण्य भूमि है, जहां लिच्छवी गण, वैशाली गणराज्य और महाजनपदों की आधारशिला रखी गई थी। यही कारण है कि इस पावन भूमि को गणतंत्र की जननी कहा जाता है।
गणराज्य की परिकल्पना और उसकी व्यवहारिक रूपरेखा सबसे पहले बिहार की त्रिभुज धरा गंगा, गंडक और बागमती के संगम क्षेत्र में विकसित हुई। वैशाली, जिसे दुनिया का पहला लोकतांत्रिक गणराज्य माना जाता है यहीं स्थित है। महात्मा बुद्ध और भगवान महावीर ने इसी भूमि पर अहिंसा, शांति और न्याय के मूल मंत्र दिए थे। इसी धरती ने चाणक्य जैसे महान कूटनीतिज्ञ को जन्म दिया, जिन्होंने अखंड भारत की नींव रखी।
भारत के स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आधुनिक भारत के निर्माण तक बिहार ने अपने महान सपूतों के माध्यम से राष्ट्र को दिशा दी। देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद, आचार्य कृपलानी, राष्ट्रकवि दिनकर, महाकवि जानकीवल्लभ शास्त्री, बेनीपुरी जैसे कई महापुरुषों ने राष्ट्र को स्वतंत्रता, संस्कृति और साहित्य के माध्यम से प्रेरित किया।
आज भी बिहार अपने प्राचीन गौरव को संजोए हुए, ज्ञान और विज्ञान की खान के रूप में आगे बढ़ रहा है। इसकी मिट्टी न केवल सोने से अधिक मूल्यवान है, बल्कि यहां के लोग अपनी संस्कृति, विद्या और परिश्रम से भारत को सशक्त बना रहे हैं।
गणराज्य की इस महान परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए हमें अपने मूल्यों को पहचानना होगा और राष्ट्र की मशाल को आगे जलाए रखना होगा। "जय जनतंत्र! जय गणराज्य! वंदे मातरम!"
- पं. जय किशोर मिश्र