नीम करौली बाबा : समाधि के बाद भी उमड़ता है भक्तों का आस्था-सागर

  • Post By Admin on Sep 10 2025
नीम करौली बाबा : समाधि के बाद भी उमड़ता है भक्तों का आस्था-सागर

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर में 1900 में जन्मे लक्ष्मी नारायण शर्मा, जिन्हें नीम करौली बाबा के नाम से जाना जाता है, आज भी श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं। 17 वर्ष की आयु में ज्ञान प्राप्त करने के बाद संन्यास लेने वाले नीम करौली बाबा को हनुमान जी का अवतार माना जाता है। बाबा ने 11 सितंबर 1973 को वृंदावन में समाधि ली थी।

देश और विदेश में बाबा के भक्तों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। नैनीताल के पास स्थित कैंची धाम में भक्त नियमित रूप से दर्शन के लिए आते हैं। उनके अनुयायियों में एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग और हॉलीवुड एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स भी शामिल हैं।

नीम करौली बाबा अपने साधारण जीवन और लोगों को अच्छे कर्म करने की प्रेरणा देने के लिए जाने जाते थे। वे हमेशा कंबल ओढ़े रहते थे, इसलिए श्रद्धालु आज भी उन्हें कंबल चढ़ाते हैं। रिचर्ड एलपर्ट (रामदास) की किताब ‘मिरेकल ऑफ लव’ में बाबा के चमत्कारों का जिक्र है, जिसमें ‘बुलेटप्रूफ कंबल’ की घटना भी शामिल है।

बाबा ने 1958 में अपना घरबार त्यागकर पूरे उत्तर भारत का भ्रमण किया और अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग नामों से पहचाने गए, जैसे लक्ष्मण दास, हांडी वाले बाबा और तिकोनिया वाले बाबा। गुजरात के ववानिया मोरबी में उनकी तपस्या के कारण उन्हें तलईया बाबा के नाम से भी जाना जाता है।

नीम करौली बाबा के दो बेटे और एक बेटी हैं। बड़े बेटे अनेक सिंह मध्य प्रदेश के भोपाल में अपने परिवार के साथ रहते हैं, जबकि छोटे बेटे धर्म नारायण शर्मा फॉरेस्ट रेंजर थे, जिनका निधन हो चुका है।

बाबा के चमत्कारिक किस्से आज भी लोगों के बीच चर्चित हैं। कहा जाता है कि एक बार बाबा बिना टिकट ट्रेन में सफर कर रहे थे। टिकट न होने पर उन्हें उतार दिया गया, लेकिन बाबा के ध्यान लगाने के बाद ट्रेन आगे नहीं बढ़ी। इसके बाद रेलवे अधिकारियों ने माफी मांगी और बाबा के बैठते ही गाड़ी चली। इसी कारण उस स्टेशन का नाम नीम करौली बाबा के नाम पर रखा गया।

एक अन्य घटना में, कैंची धाम में भंडारे के दौरान घी की कमी हो गई थी। बाबा के निर्देश पर पास की नदी से लाया गया पानी घी में बदल गया और प्रसाद तैयार हो गया। वहीं फतेहगढ़ में एक वृद्ध दंपत्ति के घर रुके बाबा ने अपने कंबल से उनके युद्ध में फंसे बेटे को गोली से बचाया।

समाधि लेने के बाद भी नीम करौली बाबा के धाम पर भक्तों का तांता लगा रहता है और उनकी साधुता व चमत्कारिक कथाएँ आज भी लोगों के हृदय में जीवित हैं।