जलवायु परिवर्तन की चपेट में भारत, रिकॉर्ड तोड़ गर्मी ने बढ़ाई चिंता, रेड अलर्ट जारी

  • Post By Admin on Jun 16 2025
जलवायु परिवर्तन की चपेट में भारत, रिकॉर्ड तोड़ गर्मी ने बढ़ाई चिंता, रेड अलर्ट जारी

नई दिल्ली : उत्तर, मध्य और पूर्वी भारत इन दिनों भीषण गर्मी की गिरफ्त में हैं। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में तापमान 44 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने लगातार पांच दिनों तक रेड अलर्ट जारी किया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह केवल मौसमी बदलाव नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन का सीधा असर है।

पहले बारिश, अब लू की मार : बदलता मौसम पैटर्न

मई में जहां दिल्ली में रिकॉर्ड 186.4 मिमी बारिश दर्ज की गई थी, वहीं जून के पहले सप्ताह से ही मौसम ने करवट ली। पश्चिमी विक्षोभ की कमी और थार रेगिस्तान से उठ रही गर्म हवाओं ने समूचे उत्तर भारत को झुलसा दिया है।

ग्लोबल वॉर्मिंग से बिगड़ रही मौसमी प्रणाली

मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल की गर्मी सामान्य नहीं है। स्काइमेट वेदर के महेश पलावत के अनुसार, “मॉनसून की गति थमी हुई है और शुष्क हवाएं तापमान को बढ़ा रही हैं।” पूर्व IMD महानिदेशक डॉ. के.जे. रमेश के मुताबिक, “हर 1°C तापमान वृद्धि पर हवा में नमी की क्षमता 7% तक बढ़ जाती है, जिससे गर्मी और भी घातक हो जाती है।”

हीटवेव की चपेट में नए राज्य

हालिया अध्ययन ‘Shifting of the Zone of Occurrence of Extreme Weather Events’ में खुलासा हुआ है कि अब हीटवेव सिर्फ राजस्थान या विदर्भ तक सीमित नहीं है। अरुणाचल प्रदेश, केरल और जम्मू-कश्मीर जैसे ठंडे माने जाने वाले राज्यों में भी बीते दो दशकों में लू की घटनाएं बढ़ी हैं।

थमी हवाएं बनी आफत

प्री-मॉनसून महीनों में उत्तर भारत में हवा की गति में गिरावट दर्ज की गई है, जिससे ठंडी हवाएं गर्म इलाकों तक नहीं पहुंच पा रही हैं। दक्षिण भारत में तेज हवाएं नमी को फैला रही हैं, जो मॉनसून प्रणाली में असंतुलन का संकेत देती हैं।

मौतों में बढ़ोतरी, सबसे ज्यादा असर गरीबों पर

1991 से 2020 के आंकड़े बताते हैं कि आंध्र प्रदेश, ओडिशा और तेलंगाना में गर्मी से हजारों जानें गईं। अकेले आंध्र प्रदेश में 2011-2020 के बीच 3182 मौतें दर्ज की गईं। उत्तर प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में भी हालात गंभीर हैं।

शहरों में अलग संकट: 'अर्बन हीट आइलैंड' बना चुनौती

शहरों में कंक्रीट संरचनाएं, पेड़ों की कमी और घनी आबादी गर्मी को और बढ़ा रही हैं। जलवायु विशेषज्ञ डॉ. पलक बाल्यान के अनुसार, “हीट स्ट्रोक के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और अब हीटवेव मानसून के महीनों तक खिंचने लगे हैं।”

समाधान क्या है?

विशेषज्ञ प्रभावी हीट एक्शन प्लान, अर्ली वॉर्निंग सिस्टम, और क्लाइमेट-रेजिलिएंट इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत पर बल दे रहे हैं। गरीबों, बच्चों, बुज़ुर्गों और मजदूरों के लिए विशेष सुरक्षा उपाय अनिवार्य माने जा रहे हैं।

निष्कर्ष: भविष्य नहीं, वर्तमान की चुनौती है जलवायु संकट

अब जलवायु परिवर्तन कोई दूर की आशंका नहीं, बल्कि हमारे दरवाजे पर दस्तक दे चुका है—तपती लू, उमस और बढ़ती मौतों के रूप में। भारत को अपने नीति, स्वास्थ्य और नगरीय ढांचे में तुरंत सुधार करने की आवश्यकता है, वरना आने वाली हर गर्मी और भी ज्यादा घातक साबित हो सकती है।

@Climateकहानी