सर्दियों में तिल का तेल बना नेचुरल बॉडी आर्मर, महंगे मॉइस्चराइज़र भी पड़े फीके
- Post By Admin on Nov 22 2025
नई दिल्ली : सर्दियों की दस्तक के साथ ही लोग मॉइस्चराइज़र और स्किन केयर प्रोडक्ट्स की ओर रुख करने लगते हैं, लेकिन आयुर्वेद के अनुसार इस मौसम में सबसे प्रभावशाली विकल्प किसी क्रीम या लोशन में नहीं, बल्कि रसोई में मौजूद तिल के तेल में छिपा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह तेल ठंड के मौसम में त्वचा और शरीर दोनों के लिए प्राकृतिक सुरक्षा कवच का काम करता है।
आयुर्वेद में तिल के तेल को ‘विंटर सुपर-ऑयल’ कहा गया है, जो त्वचा को पोषण देने के साथ-साथ जोड़ों के दर्द में विशेष लाभ पहुंचाता है। सर्दियों में बढ़ने वाले वात दोष को शांत कर यह तेल गठिया, नींद न आने की समस्या और मांसपेशियों के दर्द जैसी दिक्कतों में भी राहत प्रदान करता है।
तिल के तेल की खासियत इसकी गहराई तक असर करने की क्षमता है। आयुर्वेदिक मान्यताओं के अनुसार, इसे त्वचा पर लगाने के बाद यह सात परतों को पार कर अंदर तक पहुंचता है और प्रभाव दिखाता है। इसमें मौजूद सेसामोल, सेलमिन और विटामिन ई त्वचा को अंदर से पोषित कर रूखापन, झुर्रियां और सर्दियों में पड़ने वाली दरारों को कम करते हैं।
भारतीय परंपरा में लंबे समय से उबटन और बॉडी मसाज में तिल के तेल का उपयोग किया जाता रहा है। यह त्वचा पर हल्की सुरक्षात्मक परत बनाता है, जो 24 घंटे तक यूवी किरणों से बचाव करती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि न तो नारियल का तेल और न ही जैतून का तेल इस स्तर की सन-प्रोटेक्शन लेयर प्रदान कर पाते हैं।
सर्दियों में हड्डियों की मजबूती और जोड़ों की सेहत के लिए भी तिल का तेल फायदेमंद माना जाता है। नियमित रूप से सुबह-शाम इसका अभ्यंग (मालिश) करने से जोड़ों के दर्द और गठिया के लक्षणों में राहत महसूस की जा सकती है।