भारत में 2050 तक 35 करोड़ बच्चे होंगे, जलवायु परिवर्तन बनेगा परेशानी का सबब: यूनिसेफ

  • Post By Admin on Nov 21 2024
भारत में 2050 तक 35 करोड़ बच्चे होंगे, जलवायु परिवर्तन बनेगा परेशानी का सबब: यूनिसेफ

नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2050 तक बच्चों की संख्या 35 करोड़ तक सीमित हो जाएगी जो कि अभी की तुलना में 10.6 करोड़ कम होगी। हालांकि, यह संख्या चीन, नाइजीरिया और पाकिस्तान के साथ मिलकर वैश्विक बाल आबादी का 15 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करेगी।

यूनिसेफ की "स्टेट ऑफ द वर्ड्स चिल्ड्रन 2024" रिपोर्ट में तीन वैश्विक प्रवृत्तियों पर जोर दिया गया है जनसांख्यिकीय बदलाव, जलवायु संकट और तकनीकी नवाचार। इन सभी का बच्चों के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि 2050 तक बच्चों को गंभीर जलवायु और पर्यावरणीय संकटों का सामना करना पड़ेगा। जलवायु परिवर्तन के कारण, बच्चों को अत्यधिक गर्मी, सूखा और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना होगा। रिपोर्ट के अनुसार, 2000 के दशक की तुलना में 2050 तक बच्चों के लिए जलवायु संकट आठ गुना अधिक गंभीर हो सकता है।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अधिकतर बच्चे निम्न आय वाले देशों विशेष रूप से अफ्रीका में रहेंगे, जहां इन संकटों से निपटने के संसाधन सीमित हो सकते हैं। भारत में जहां 2050 तक बच्चों की संख्या 35 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है सरकार को इन बच्चों के कल्याण और अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए कठोर उपाय करने होंगे। यूनिसेफ इंडिया की प्रतिनिधि सिंथिया मैककैफ्रे ने कहा, "आज लिए गए निर्णय हमारे बच्चों के भविष्य को आकार देंगे। बच्चों और उनके अधिकारों को नीतियों और रणनीतियों के केंद्र में रखना समृद्ध और टिकाऊ भविष्य के निर्माण के लिए आवश्यक है।"

इस रिपोर्ट में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के प्रभाव पर भी चर्चा की गई है। AI जैसी प्रौद्योगिकियां बच्चों के लिए अच्छे और बुरे दोनों परिणाम ला सकती हैं और रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि डिजिटल विभाजन दुनिया भर में गहरा हो रहा है। उच्च आय वाले देशों में 95 प्रतिशत लोग इंटरनेट से जुड़े हैं जबकि निम्न आय वाले देशों में यह संख्या केवल 26 प्रतिशत है।

इसके अलावा, जलवायु संकट से बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और पानी जैसी आवश्यक संसाधनों तक पहुंच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि भारत को स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल और टिकाऊ शहरी अवसंरचना में निवेश को प्राथमिकता देनी होगी क्योंकि 2050 तक भारत की आधी आबादी शहरी क्षेत्रों में रहने का अनुमान है। इसके लिए बच्चों के अनुकूल और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ जुझारू शहरी नियोजन की आवश्यकता होगी।