आरएसएस शताब्दी वर्ष : मुस्लिम धर्मगुरुओं संग दिल्ली में अहम बैठक, मोहन भागवत करेंगे नेतृत्व
- Post By Admin on Jul 24 2025

नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी वर्ष के अवसर पर आज दिल्ली में एक ऐतिहासिक पहल होने जा रही है। संघ प्रमुख मोहन भागवत की अगुवाई में हरियाणा भवन में मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ एक अहम बैठक आयोजित की जा रही है, जिसका उद्देश्य आपसी संवाद, सामाजिक समरसता और सहयोग को नई दिशा देना है।
इस बैठक में आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी दत्तात्रेय होसबाले, कृष्ण गोपाल, रामलाल और इंद्रेश कुमार मौजूद रहेंगे। वहीं मुस्लिम समाज की ओर से ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के प्रमुख मौलाना उमर इलियासी समेत कई प्रमुख धर्मगुरु हिस्सा लेंगे। यह संवाद संघ के सौ साल पूरे होने के अवसर पर देशभर में चल रहे शताब्दी वर्ष कार्यक्रमों का हिस्सा है।
हर गांव-हर घर तक संघ का लक्ष्य
1925 में नागपुर में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा स्थापित आरएसएस आज अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर चुका है। इस ऐतिहासिक मौके को यादगार बनाने के लिए संघ ने देश के हर गांव, बस्ती और घर तक अपनी पहुंच बनाने का संकल्प लिया है। इसके तहत शिक्षा, सेवा, स्वास्थ्य और सामाजिक एकता को केंद्र में रखते हुए व्यापक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
संघ और मुस्लिम समाज के बीच संवाद की नई शुरुआत
सूत्रों के अनुसार, आज की बैठक न केवल सामाजिक समरसता की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि आने वाले समय में विभिन्न समुदायों के बीच आपसी समझ और सहयोग बढ़ाने की नींव भी रख सकती है। पिछले कुछ वर्षों में संघ प्रमुख मोहन भागवत कई बार मुस्लिम बुद्धिजीवियों और मौलवियों से संवाद करते रहे हैं, और यह सिलसिला शताब्दी वर्ष में और तेज होता दिख रहा है।
हिंदू-मुस्लिम एकता पर रहेगा ज़ोर
बैठक में 'हिंदुस्तान सबका है', 'भारतीय संस्कृति की समावेशिता', 'एकता में विविधता' जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। संघ की ओर से यह संदेश देने की कोशिश होगी कि भारत की सांस्कृतिक विरासत सबके लिए है, और हर समुदाय इसमें समान रूप से भागीदार है।
राष्ट्रीय एकता और सेवा की ओर बढ़ते कदम
शताब्दी वर्ष के तहत आरएसएस ने सामाजिक सेवा, शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण जैसे विषयों पर कई कार्यक्रमों की योजना बनाई है। मुस्लिम समाज के साथ हो रही यह बैठक इसी कड़ी का हिस्सा मानी जा रही है, जिससे सामाजिक संवाद को और व्यापक बनाया जा सके।
आज की यह पहल निश्चित रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की रणनीतिक सोच और बदलते सामाजिक परिदृश्य में उसकी भूमिका को एक नई दिशा देती है।