नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर नेताजी की यादें और स्वराज का संदेश
- Post By Admin on Jan 23 2025

पटना : आज 23 जनवरी को हम नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मना रहे हैं। जिनकी देशभक्ति और साहस ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी। नेताजी के योगदान को याद करते हुए यह दिन खास तौर पर पटना और बिहारवासियों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि नेताजी का बिहार और विशेषकर पटना से गहरा जुड़ाव था। पटना के विभिन्न इलाकों जैसे बांकीपुर, दानापुर, खगौल और मंगल तालाब में नेताजी ने कई सभाएं कीं। जिनमें उन्होंने स्वराज का असली अर्थ और भारत की आज़ादी के लिए संघर्ष का संदेश दिया।
पटना में नेताजी की कई ऐतिहासिक सभाएं
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भाषणों में एक विशेष बात यह थी कि वह सिर्फ हिंदी में ही नहीं, बल्कि बांग्ला में भी लोगों को संबोधित करते थे। पटना और दानापुर में आयोजित उनकी सभाओं में बांग्ला भाषी लोग, खासकर महिलाएं बड़ी संख्या में शामिल होती थीं। सुभाष चंद्र बोस का आह्वान ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा’ से न केवल पटना का गांधी मैदान, बल्कि पूरे भारत में आज़ादी के संघर्ष को एक नई ताकत मिली थी।
पटना में ही आयोजित सुभाष चंद्र बोस की कई सभाओं की सीआईडी रिपोर्ट्स भी मिली हैं। जिनमें उनके भाषणों का विस्तृत विवरण दर्ज है। एक रिपोर्ट (फाइल संख्या 491, वर्ष 1939) में यह सवाल उठाया गया था कि क्या सुभाष चंद्र बोस और शीलभद्र याजी को डिफेन्स ऑफ इंडिया रूल के तहत गिरफ्तार किया जा सकता है। लेकिन तत्कालीन बिहार के मुख्यमंत्री कृष्ण सिंह ने इस गिरफ्तारी को टाल दिया, यह कहते हुए कि यदि गांधीजी का समर्थन रहता है तो सुभाष से डरने की जरूरत नहीं है।
नेताजी की सभा यात्रा और उनके समर्थकों का जज्बा
सुभाष चंद्र बोस की सभा यात्रा 27 अगस्त 1939 से शुरू हुई थी। जब उन्होंने पटना और इसके आसपास के क्षेत्रों में जनसभा की। इस यात्रा का उद्देश्य था भारतीय जनमानस को जागरूक करना और स्वतंत्रता संग्राम की लहर को तेज करना। एक सभा के दौरान पटना के बांकीपुर मैदान में सुभाष चंद्र बोस के खिलाफ विरोधी नारों का सामना भी करना पड़ा, लेकिन फिर भी उनकी जनता से गहरी जुड़ी हुई थी और 29 अगस्त को फिर से उस सभा का आयोजन किया गया। इस सभा में करीब 20,000 लोग उपस्थित थे। जिनमें 150 से अधिक बंगाली महिलाएं भी शामिल थीं। सभा की अध्यक्षता जयप्रकाश नारायण ने की थी और रामवृक्ष बेनीपुरी ने स्वागत भाषण दिया था।
नेताजी और स्वामी सहजानंद सरस्वती का ऐतिहासिक रिश्ता
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का स्वामी सहजानंद सरस्वती के साथ गहरा संबंध था। स्वामी सहजानंद ने सुभाष चंद्र बोस के लिए कई बार समर्थन की आवाज उठाई थी। 28 अप्रैल को स्वामी सहजानंद दिवस के रूप में मनाया गया था, जो इस बात का प्रतीक था कि सुभाष चंद्र बोस के साथ उनका गहरा लगाव था। स्वामी सहजानंद सरस्वती के साथ एकता की भावना को बढ़ावा देने के लिए नेताजी ने बीहटा स्थित सीताराम आश्रम में भी उनके साथ मुलाकात की थी।
नेताजी का मुजफ्फरपुर दौरा और क्रांतिकारी आयोजन
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 26 अगस्त 1939 को मुजफ्फरपुर का दौरा किया था। जहां उन्होंने क्रांतिकारियों के बीच आज़ादी के जज्बे को और भी मजबूत किया। मुजफ्फरपुर में क्रांतिकारी ज्योतिंद्र नारायण दास और शशधर दास की चाय की दुकान का उद्घाटन किया गया, जो एक क्रांतिकारी अड्डा बन गई थी। यहां से नेताजी ने युवाओं को प्रेरित किया और स्वतंत्रता संग्राम की दिशा में अपने योगदान को और भी मजबूत किया।
कर्नल महबूब अहमद : नेताजी के निजी सचिव और मिलिट्री सेक्रेटरी
मुजफ्फरपुर के कर्नल महबूब अहमद, जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस के निजी सचिव और मिलिट्री सेक्रेटरी थे, उन्होंने आज़ाद हिंद फौज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कर्नल महबूब ने नेताजी के साथ कई युद्धों में भाग लिया और उनकी रणनीतियों से सफलता प्राप्त की। नेताजी के नेतृत्व में आज़ाद हिंद फौज ने कई मोर्चों पर ब्रिटिश फौज के खिलाफ जंग लड़ी और कर्नल महबूब की टीम ने महत्वपूर्ण जीत हासिल की।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर उनके योगदान को याद करते हुए यह दिन विशेष रूप से पटना के लिए महत्वपूर्ण है। जहां उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के लिए कई महत्वपूर्ण सभाएं कीं। उनकी घोषणाएं, संघर्ष की भावना और बिहारवासियों के प्रति उनका प्रेम आज भी प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं।