दिल्ली हाईकोर्ट को मिले 6 नए न्यायाधीश, न्यायिक व्यवस्था को मिलेगी नई गति
- Post By Admin on Jul 21 2025

नई दिल्ली : देश की राजधानी की न्यायिक प्रणाली को सोमवार को एक नई मजबूती मिली जब दिल्ली हाईकोर्ट में छह नए न्यायाधीशों ने शपथ ग्रहण की। मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय ने न्यायमूर्ति वी. कामेश्वर राव, नितिन वासुदेव साम्ब्रे, विवेक चौधरी, अनिल क्षेत्रपाल, अरुण मोंगा और ओम प्रकाश शुक्ला को पद की शपथ दिलाई।
इस शपथग्रहण के साथ अब दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की कुल संख्या 40 हो गई है, हालांकि अभी भी यह संख्या स्वीकृत 60 पदों से काफी कम है। सभी नवनियुक्त जज सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश और केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों से स्थानांतरित होकर दिल्ली पहुंचे हैं।
न्यायिक अनुभव और विविध पृष्ठभूमि वाले जजों का समावेश
इन नियुक्तियों में सबसे प्रमुख नाम न्यायमूर्ति वी. कामेश्वर राव का है, जो मई 2024 में कर्नाटक हाईकोर्ट स्थानांतरित हुए थे और अब एक बार फिर दिल्ली हाईकोर्ट में लौट आए हैं। वे पहले 2013 में दिल्ली हाईकोर्ट के अतिरिक्त और 2015 में स्थायी न्यायाधीश बनाए गए थे।
न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से आए हैं और 1988 से कानूनी क्षेत्र में सक्रिय हैं। इसी तरह, न्यायमूर्ति अरुण मोंगा, जिनकी कानून यात्रा 1991 में शुरू हुई थी, पहले पंजाब एवं हरियाणा और फिर राजस्थान हाईकोर्ट में सेवाएं दे चुके हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट से आए न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला और विवेक चौधरी भी न्यायिक क्षेत्र में लंबा अनुभव रखते हैं। दोनों ने देश की विभिन्न अदालतों में महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की है। वहीं, बॉम्बे हाईकोर्ट से आए न्यायमूर्ति नितिन वासुदेव साम्ब्रे को 2014 में वहां जज नियुक्त किया गया था और वे नागपुर यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री प्राप्त कर चुके हैं।
न्यायपालिका को मिलेगी गति
इन नियुक्तियों को दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित मामलों के शीघ्र निपटारे और न्यायिक प्रक्रिया में तेजी लाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। लंबे समय से खाली पड़े न्यायिक पदों के कारण अदालतों में मामलों का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा था। अब विशेषज्ञता और विविध अनुभव से लैस इन न्यायाधीशों के आने से न्यायपालिका की कार्यक्षमता में सुधार की उम्मीद की जा रही है।
न्यायिक संतुलन और विविधता की ओर कदम
इन स्थानांतरणों के माध्यम से न केवल दिल्ली हाईकोर्ट की ताकत बढ़ी है, बल्कि यह न्यायिक प्रणाली में क्षेत्रीय विविधता और अनुभव के आदान-प्रदान की दिशा में एक सराहनीय पहल मानी जा रही है। अब देखना यह होगा कि ये नए न्यायाधीश न्यायिक प्रक्रिया में कितनी रफ्तार और संवेदनशीलता ला पाते हैं।