तेजस Mark-1A के इंजन की आपूर्ति शुरू, वायुसेना को जल्द मिलेंगे स्वदेशी लड़ाकू विमान

  • Post By Admin on Jul 16 2025
तेजस Mark-1A के इंजन की आपूर्ति शुरू, वायुसेना को जल्द मिलेंगे स्वदेशी लड़ाकू विमान

नई दिल्ली : भारतीय वायुसेना की ताकत को नया आयाम देने वाले स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस मार्क-1ए को अब नया इंजन मिल गया है। अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) ने भारत को तेजस के लिए GE-404 टर्बोफैन इंजन की दूसरी खेप सौंप दी है, जिससे अब इन उन्नत लड़ाकू विमानों के निर्माण में तेजी आने की उम्मीद है।

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को इस वित्त वर्ष के अंत तक अमेरिका से कुल 12 इंजन प्राप्त होने हैं। सभी इंजन भारतीय वायुसेना के लिए तैयार किए जा रहे तेजस मार्क-1ए विमानों में लगाए जाएंगे। HAL पहले ही भारतीय वायुसेना से 83 तेजस Mark-1A फाइटर जेट्स का ऑर्डर हासिल कर चुकी है।

रक्षा सूत्रों के अनुसार इंजन की समय पर आपूर्ति से तेजस की प्रोडक्शन लाइन में गति आएगी, जिससे वायुसेना को लंबे समय से प्रतीक्षित जेट जल्द मिलने की संभावना है। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी सहित शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने पहले भी विमानों की आपूर्ति में हो रही देरी पर चिंता जताई थी।

स्वदेशी परियोजना को गति, आत्मनिर्भर भारत को बल
यह पूरी परियोजना ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत देश की रक्षा स्वावलंबन को सशक्त करने का एक अहम हिस्सा है। तेजस मार्क-1ए को मिग-21, मिग-29 और मिराज जैसे पुराने विमानों की जगह शामिल किया जा रहा है। अभी वायुसेना के पास दो स्क्वाड्रन तेजस (Mark-1) हैं जो सुलूर एयरबेस, तमिलनाडु में तैनात हैं।

सरकार ने तेजस Mark-1A के 83 विमानों के अलावा 97 अतिरिक्त विमानों की योजना को भी हरी झंडी दी है। कुल मिलाकर 220 स्वदेशी एलसीए तेजस विमान भारतीय वायुसेना के स्क्वाड्रन में शामिल होंगे। इसके अलावा एलसीए Mark-2 यानी मीडियम वेट फाइटर (MWF) प्रोजेक्ट को भी मंजूरी मिल चुकी है।

HAL ने जताया भरोसा
HAL ने कहा है कि इंजन की सप्लाई शुरू होने के साथ ही तेजस विमानों की डिलीवरी में तेजी लाई जाएगी। HAL अधिकारियों का मानना है कि इस साल के भीतर कम से कम एक दर्जन इंजन मिलने की संभावना है, जिससे तेजस Mark-1A की पहली खेप भारतीय वायुसेना को सौंपी जा सकेगी।

GE इंजन की सप्लाई से भारत की स्वदेशी रक्षा तैयारियों को बड़ा बल मिलेगा। इस उपलब्धि से एक ओर जहां वायुसेना की क्षमता में इजाफा होगा, वहीं भारत की आत्मनिर्भर सैन्य परियोजनाओं को भी वैश्विक मान्यता मिल सकती है।