बांग्लादेशी घुसपैठिया बन गई भारत में ग्राम प्रधान, जानें क्या है मामला
- Post By Admin on Jan 01 2025

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के राशीदाबाद ग्राम पंचायत की प्रधान लवली खातून पर बांग्लादेशी घुसपैठिया होने और भारत में अवैध तरीके से प्रवेश करने के गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं। यह मामला अब तूल पकड़ चुका है और कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस पर रिपोर्ट भी तलब की है।
कौन हैं लवली खातून ?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लवली खातून का असली नाम नासिया शेख है और वह कथित रूप से बिना पासपोर्ट के भारत आई थीं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उन्होंने अपने असली नाम और पहचान को बदलकर अपने दस्तावेजों में शेख मुस्तफा नाम दर्ज करवा लिया। उनके नाम पर 2015 में वोटर कार्ड और 2018 में जन्म प्रमाण पत्र जारी किया गया था। इन दस्तावेजों के आधार पर ही उन्होंने चुनाव लड़ा और ग्राम पंचायत के प्रधान के रूप में जीत हासिल की। हालांकि, उनके खिलाफ आरोप हैं कि ये दस्तावेज़ फर्जी हैं और इन्हें गलत तरीके से तैयार किया गया है।
क्या है आरोप ?
लवली खातून पर यह आरोप भी है कि उन्होंने अपने चुनावी दावे को मजबूत करने के लिए फर्जी दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, वोटर कार्ड और ओबीसी प्रमाणपत्र बनवाए। चंचल की रहने वालीं रेहाना सुल्ताना ने लवली के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। रेहाना ने 2022 में लवली के खिलाफ पंचायत चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गई थीं। रेहाना का दावा है कि चुनाव जीतने के बाद लवली खातून ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) का दामन थाम लिया था।
साक्ष्य और जांच
रेहाना की वकील, अमलान भादुरी के अनुसार, लवली के चुनावी दावे को लेकर यह आरोप सामने आए हैं कि उन्होंने चुनावी पात्रता को साबित करने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया। आरोपों के मुताबिक, लवली ने पड़ोस के एक गांव में जाकर एक व्यक्ति से अपने पिता के तौर पर पेश होने का अनुरोध किया था। स्थानीय जानकारी के अनुसार, लवली के पिता का असली नाम शेख मुस्तफा नहीं है, बल्कि जमील बिस्वास था। हालांकि, स्थानीय प्रशासन और पुलिस पर कार्यवाही न करने का आरोप भी लगाया गया है। इसके बाद, रेहाना और उनके सहयोगियों ने 2024 में इस मामले को लेकर हाईकोर्ट का रुख किया है।
टीएमसी की भूमिका
लवली खातून तृणमूल कांग्रेस (TMC) से जुड़ी हुई हैं और पार्टी ने भी इस मामले में जांच शुरू कर दी है। पार्टी का कहना है कि सभी आरोपों की निष्पक्ष जांच की जाएगी। यह मामला अब एक राजनीतिक तूल पकड़ चुका है और देखना यह है कि आरोपों की जांच में क्या निष्कर्ष सामने आते हैं और क्या लवली खातून को इन आरोपों से मुक्त किया जा सकता है या नहीं।