भारत में बागवानी फसलों के उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि का अनुमान, 2024-25 में 3.7% उछाल
- Post By Admin on Jun 27 2025

नई दिल्ली : देश की कृषि अर्थव्यवस्था के लिए एक उत्साहजनक संकेत के तौर पर, फसल वर्ष 2024-25 (जुलाई-जून) में बागवानी फसलों के उत्पादन में 3.66 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया गया है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी दूसरे अग्रिम अनुमान में यह जानकारी दी गई।
अनुसार, बागवानी फसलों का कुल उत्पादन इस वर्ष बढ़कर 367.72 मिलियन टन (एमटी) तक पहुंचने की संभावना है, जो पिछले वर्ष 354.74 एमटी रहा था। इस बढ़ोत्तरी का प्रमुख कारण फलों और सब्जियों के उत्पादन में हुई वृद्धि को माना जा रहा है। साथ ही, बागवानी फसलों का कुल रकबा भी 290.86 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 292.67 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है।
फल-सब्जी उत्पादन में मजबूत उछाल
2024-25 में फलों का उत्पादन 1.36% बढ़कर 1,145.10 लाख टन और सब्जियों का उत्पादन 6% उछलकर 2,196.74 लाख टन होने का अनुमान है। खासतौर पर प्याज की पैदावार में भारी वृद्धि देखी जा रही है—जहां पिछले वर्ष यह 242.67 लाख टन थी, वहीं इस बार यह 307.73 लाख टन तक पहुंच सकती है।
हालांकि मसालों के उत्पादन में मामूली गिरावट देखी गई है—पिछले साल के 124.84 लाख टन की तुलना में इस बार यह 123.70 लाख टन रहने की संभावना है।
किसानों की मेहनत और सरकारी योजनाओं का असर
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बागवानी उत्पादन में इस बढ़ोतरी को किसानों, कृषि वैज्ञानिकों और सरकार की योजनाबद्ध पहलों का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि “यह उपलब्धि ‘राष्ट्रीय बागवानी मिशन’ जैसी योजनाओं की सफलता और आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने का परिणाम है।”
कृषि जीवीए में 33% का योगदान, खाद्यान्न से आगे निकला बागवानी क्षेत्र
वर्तमान में भारत में बागवानी उत्पादों का उत्पादन 320.48 मिलियन टन तक पहुंच चुका है, जो देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन से भी आगे निकल गया है। जहां खाद्यान्न की उत्पादकता 2.23 टन/हेक्टेयर है, वहीं बागवानी की उत्पादकता 12.49 टन/हेक्टेयर दर्ज की गई है। कृषि ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) में बागवानी का योगदान लगभग 33% है।
वैश्विक स्तर पर भारत की मजबूत पकड़
भारत अब आम, केला, अमरूद, पपीता, चीकू, अनार, नींबू और आंवला जैसे फलों के साथ-साथ मसाले, नारियल और काजू उत्पादन में दुनिया में अग्रणी बन गया है। नई फसलों जैसे कीवी, खीरा, किन्नू, खजूर और तेल ताड़ की व्यावसायिक खेती ने भी देश में नई संभावनाएं खोली हैं।
बागवानी फसलों में यह सकारात्मक रुझान भारत की पोषण सुरक्षा, ग्रामीण रोजगार और किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है। मंत्रालय का यह अनुमान यदि सटीक साबित होता है, तो देश की कृषि अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की पूरी उम्मीद है।