चंद्र ग्रहण : आचार्य विक्रमादित्य ने बताया 12 राशियों पर असर और सावधानियां
- Post By Admin on Sep 07 2025
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नई दिल्ली : चंद्र ग्रहण को लेकर ज्योतिष जगत में व्यापक चर्चा हो रही है। पीतांबरा पीठ के पीठाधीश्वर आचार्य विक्रमादित्य ने इस खगोलीय घटना को विस्तार से समझाते हुए बताया कि रविवार की रात 9 बजकर 57 मिनट से आरंभ होकर यह ग्रहण रात करीब 1 बजकर 26 मिनट तक चलेगा। कुल साढ़े तीन घंटे तक चलने वाला यह चंद्र ग्रहण सभी 12 राशियों पर अलग-अलग प्रभाव डालेगा।
आचार्य विक्रमादित्य के अनुसार, इस बार का चंद्र ग्रहण कुंभ राशि में राहु और चंद्रमा की युति के कारण बन रहा है। श्राद्ध पक्ष से पहले यह चंद्र ग्रहण और उसके बाद सूर्य ग्रहण पड़ना विशेष योग बना रहा है। इन दोनों ग्रहणों के बीच का 15 दिनों का समय अत्यधिक संवेदनशील और सावधानी से गुजरने वाला बताया गया है। इस अवधि में कई ग्रहों के परिवर्तन की संभावनाएं भी बन रही हैं, जिससे विश्व स्तर पर राजनीतिक, सामाजिक और प्राकृतिक स्तर पर उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं।
उन्होंने बताया कि ग्रहण केवल एक खगोलीय घटना ही नहीं बल्कि इसका गहरा आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व भी है। आकाश मंडल में जब सूर्य और चंद्रमा की स्थिति बदलती है और पृथ्वी के कारण छाया पड़ती है, तभी ग्रहण का निर्माण होता है। भारतीय ज्योतिष मान्यता के अनुसार, ग्रहणकाल को पर्वकाल कहा जाता है। इस समय भगवान के मंत्रजाप, साधना और ध्यान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
आचार्य विक्रमादित्य ने विस्तार से बताया कि यह चंद्र ग्रहण प्रत्येक राशि के लिए अलग-अलग परिणाम लेकर आएगा—
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मेष राशि वालों के लिए यह समय आत्मनिरीक्षण और संयम का रहेगा।
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वृषभ राशि वालों को आर्थिक मामलों में सतर्क रहने की आवश्यकता है।
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मिथुन राशि वालों को स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत होगी।
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कर्क राशि के जातकों के लिए पारिवारिक संबंधों में मधुरता बनाए रखना आवश्यक होगा।
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सिंह राशि के जातकों को करियर में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
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कन्या राशि वालों को विवादों से बचने और धैर्य रखने की सलाह दी गई है।
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तुला राशि के लिए यह समय मानसिक शांति और ध्यान का है।
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वृश्चिक राशि वालों को अनावश्यक तनाव से बचना होगा।
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धनु राशि वालों के लिए यह ग्रहण शिक्षा और ज्ञानार्जन की दिशा में सकारात्मक संकेत लेकर आया है।
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मकर राशि के जातकों को धन निवेश में सावधानी बरतनी होगी।
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कुंभ राशि पर इसका विशेष प्रभाव रहेगा क्योंकि यहीं पर चंद्रमा और राहु की युति है। उन्हें मानसिक उतार-चढ़ाव और निर्णय लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है।
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मीन राशि वालों के लिए यह ग्रहण आध्यात्मिक उन्नति और आंतरिक शक्ति बढ़ाने वाला साबित हो सकता है।
उन्होंने कहा कि ग्रहण समाप्ति के बाद शुद्धिकरण के लिए स्नान करना अनिवार्य है। ऐसा न करने पर सूतक काल का दोष बना रहता है। भारतीय संस्कृति स्नानमय संस्कृति मानी जाती है, और विशेष रूप से ग्रहण के बाद स्नान करने से शनि के दोष भी कम हो जाते हैं।
आचार्य विक्रमादित्य ने यह भी कहा कि गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। इस दौरान धार्मिक ग्रंथों का पाठ, मंत्रजाप, और ध्यान करना अत्यंत शुभ और कल्याणकारी माना गया है।