नदियों को हम सभी मईया बुलाते हैं, क्या आपको पता है कि किस नदी को पिता का दर्जा है
- Post By Admin on Feb 23 2025

नई दिल्ली : आम तौर पर नदियों को भारत में मां का दर्जा दिया जाता है लेकिन एक नदी है जिसे पुरुष के नाम पर रखा गया है । मान्यता है कि इन्हें नदियों के रूप में पिता का दर्जा है, नाम है ब्रह्मपुत्र नदी । भारत की प्रमुख नदियों में शामिल ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत, भारत और बांग्लादेश से होकर बहती है। यह नदी हिमालय के उत्तर में स्थित तिब्बत के पुरंग जिले में मानसरोवर झील के पास से उद्गमित होती है, जहाँ इसे यरलुङ त्सङ्पो के नाम से जाना जाता है। तिब्बत में लंबी दूरी तय करने के बाद यह नदी भारत के अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है, जहाँ इसे दिहांग कहा जाता है।
असम की जीवनरेखा
अरुणाचल से आगे बढ़ते हुए यह नदी असम में प्रवेश कर ब्रह्मपुत्र के नाम से प्रसिद्ध हो जाती है। असम के मैदानी भागों में यह नदी राज्य की जीवनरेखा मानी जाती है। यह न केवल असम की कृषि एवं जल आपूर्ति का महत्वपूर्ण स्रोत है, बल्कि इसकी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्ता भी अत्यधिक है।
बांग्लादेश में जमुना के नाम से प्रसिद्ध
असम से आगे बढ़कर ब्रह्मपुत्र नदी बांग्लादेश में प्रवेश करती है, जहाँ इसे जमुना कहा जाता है। बांग्लादेश में जमुना नदी गंगा की प्रमुख शाखा पद्मा से मिलती है और आगे चलकर इनकी संयुक्त धारा को मेघना कहा जाता है, जो सुंदरबन डेल्टा का निर्माण करते हुए बंगाल की खाड़ी में समाहित हो जाती है।
2900 किलोमीटर लंबी विशाल नदी
ब्रह्मपुत्र नदी की कुल लंबाई लगभग 2900 किलोमीटर है। तिब्बत में इसे सांग्पो, अरुणाचल में दिहांग, असम में ब्रह्मपुत्र और बांग्लादेश में जमुना के नाम से जाना जाता है। इसके प्रमुख सहायक नदियों में सुवनश्री, तिस्ता, तोर्सा, लोहित, बराक आदि शामिल हैं। इस नदी के किनारे बसे प्रमुख शहरों में डिब्रूगढ़, तेजपुर और गुवाहाटी शामिल हैं।
अनोखी पहचान: एक पुरुषवाचक नदी
भारतीय परंपरा में अधिकांश नदियों के नाम स्त्रीलिंग में होते हैं, लेकिन ब्रह्मपुत्र इस परंपरा से अलग है। संस्कृत में इसका शाब्दिक अर्थ "ब्रह्मा का पुत्र" होता है, जिससे यह अपनी विशिष्ट पहचान बनाती है। मान्यता के अनुसार इस नदी को ब्रह्मा जी का पुत्र माना जाता है।
ब्रह्मपुत्र की गहराई और विस्तार
इस नदी की औसत गहराई 38 मीटर (124 फीट) और अधिकतम गहराई 120 मीटर (380 फीट) तक मानी जाती है। यह दक्षिण एशिया की सबसे विशाल और जल-समृद्ध नदियों में से एक है, जो विभिन्न भौगोलिक और सांस्कृतिक पहलुओं से जुड़ी हुई है।
संस्कृति और अर्थव्यवस्था में योगदान
ब्रह्मपुत्र नदी न केवल भारत और बांग्लादेश के लिए जल आपूर्ति का महत्वपूर्ण स्रोत है बल्कि यह क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। असम में चाय उत्पादन, जल परिवहन और मत्स्य पालन में इसका व्यापक योगदान है। ब्रह्मपुत्र की यह विशाल धारा केवल एक नदी नहीं बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप की संस्कृति, परंपरा और आर्थिक विकास की एक अहम कड़ी है ।