ऋषि बोध दिवस पर गूंजे वैदिक मंत्र, भव्य शोभायात्रा व यज्ञ का आयोजन

  • Post By Admin on Feb 26 2025
ऋषि बोध दिवस पर गूंजे वैदिक मंत्र, भव्य शोभायात्रा व यज्ञ का आयोजन

मुजफ्फरपुर : महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर घिरनी पोखर स्थित आर्य समाज मंदिर में ऋषि बोध दिवस धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर सुबह से ही आर्य समाज के पदाधिकारी और सदस्य उत्साहित नजर आए। आयोजन की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हुई, जिसके बाद मंत्री प्रो. व्यास नंदन शास्त्री वैदिक के नेतृत्व में भव्य प्रभात फेरी निकाली गई।

भव्य प्रभात फेरी में गूंजे वैदिक उद्घोष

प्रभात फेरी में प्रधान डॉ. महेश चंद्र प्रसाद, सतीश चंद्र प्रसाद, डॉ. अजित कुमार गौड़, प्रमोद कुमार आर्य, अनिल कुमार मेहता, अरुण कुमार आर्य, राजेश कुमार सहित डी.वी.एम. पब्लिक स्कूल, लकड़ी ढाही, चंदवारा तथा आर्य विद्या मंदिर, आर्य कुमार सभा, आमगोला के छात्र-छात्राओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
ओम् ध्वज और ऋषि बोध दिवस के बैनरों से सजी यह शोभायात्रा सरैयागंज टावर, पंकज मार्केट, छाता बाजार, गोला रोड, केदारनाथ रोड, कल्याणी चौक होते हुए पुनः आर्य समाज मंदिर पहुंची। नगरवासियों ने इस वैदिक जागरूकता अभियान को सराहा।

महायज्ञ में विश्व कल्याण की आहुतियां

प्रभात फेरी के बाद मंदिर में बृहद वैदिक यज्ञ का आयोजन किया गया, जिसमें प्रदीप कुमार और नीतू आर्या यजमान बने। आर्य समाज के सदस्यों और विद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने ‘विश्वानि देवः’, नमस्कार मंत्र और गायत्री मंत्र के साथ मेधा, बुद्धि और सुखी जीवन की कामना की तथा विश्व कल्याण के लिए आहुतियां अर्पित कीं। इसके बाद प्रधान और मंत्री ने संयुक्त रूप से ओम् ध्वजारोहण किया, जिससे संपूर्ण परिसर वैदिक उद्घोषों से गूंज उठा।

ऋषि बोध पर परिचर्चा, भजन-प्रवचन से झूमे श्रद्धालु

अंत में प्रधान डॉ. महेश चंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में ऋषि बोध विषय पर एक विशेष परिचर्चा आयोजित की गई। इसमें प्रो. व्यास नंदन शास्त्री वैदिक, आचार्य कमलेश दिव्यदर्शी, धर्मशीला आर्या, सुकन्या आर्या, अनिला आर्या, डॉ. विमलेश्वर प्रसाद विमल, सुनील कुमार अधिवक्ता, नरेन्द्र तपीले, सुष्मिता शर्मा सहित कई विद्वानों ने अपने विचार रखे।

इस दौरान बच्चों ने महर्षि दयानंद सरस्वती की जीवनी पर गीत और भजन प्रस्तुत किए, जिससे श्रोता भाव-विभोर हो गए। प्रवचन में प्रो. व्यास नंदन शास्त्री ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती एक युग प्रवर्तक थे। उन्होंने बताया कि 14 वर्ष की आयु में महर्षि को महाशिवरात्रि के दिन मूर्तिपूजा के प्रति आस्था भंग हुई थी, जिसके बाद वे सत्य शिव की खोज में निकल पड़े और वर्षों तक योग, वेद और दर्शन का अध्ययन किया।

उन्होंने कहा, "महर्षि दयानंद सरस्वती ने 1875 में मुंबई में आर्य समाज की स्थापना कर वैदिक ज्ञान का प्रचार किया। उनका ग्रंथ 'सत्यार्थ प्रकाश' हर व्यक्ति को पढ़ना चाहिए, ताकि जीवन को सत्य और शिव के मार्ग पर सार्थक बनाया जा सके।"

इस कार्यक्रम ने शहरवासियों के बीच वैदिक संस्कृति के प्रति जागरूकता बढ़ाई और श्रद्धालुओं ने इसे एक ऐतिहासिक आयोजन बताया।