उत्तराखंड में अनियंत्रित निर्माण से बढ़ा बादल फटने का खतरा, वैज्ञानिकों की चेतावनी
- Post By Admin on Aug 10 2025

नैनीताल : उत्तराखंड समेत संवेदनशील हिमालयी राज्यों में तेज़ी से हो रहा अनियंत्रित निर्माण अब प्रकृति के लिए खतरे की घंटी बन गया है। हाल ही में धराली में आई तबाही के बाद वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि बेतहाशा इमारतों और सड़कों का निर्माण पहाड़ों में बादल फटने जैसी घटनाओं की संभावना कई गुना बढ़ा रहा है।
नैनीताल स्थित एरीज (ARIES) के वरिष्ठ वैज्ञानिकों का कहना है कि पहाड़ों की मिट्टी पहले से ही कमजोर होती है। बड़े पैमाने पर पहाड़ काटने और निर्माण से मिट्टी की जलधारण क्षमता घट रही है, जिससे स्थानीय जलवायु असंतुलित हो रही है। इससे ‘लोकल क्लाउड फॉर्मेशन’ यानी स्थानीय स्तर पर असामान्य बादलों का जमाव बढ़ रहा है, जो अचानक भारी बारिश के रूप में फट पड़ते हैं और भीषण तबाही मचाते हैं।
मौसम विज्ञानी नरेंद्र सिंह के अनुसार, हर निर्माण से निकलने वाला रेडिएशन वायुमंडल में तापमान बढ़ाता है, जिससे बादलों के बनने और बरसने के पैटर्न में बदलाव आता है। ग्लोबल वार्मिंग, जंगलों की कटाई और अंधाधुंध निर्माण का संयुक्त असर अब पहाड़ों में स्पष्ट दिख रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि निर्माण की यह रफ्तार नहीं थमी, तो आने वाले वर्षों में बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएं कई गुना बढ़ जाएंगी। पर्यावरणविदों ने योजनाबद्ध और टिकाऊ विकास, जंगलों के संरक्षण और पहाड़ी क्षेत्रों में निर्माण पर सख्त नियंत्रण को ही इस संकट से बचने का एकमात्र उपाय बताया है।