तीन दिवसीय द्वितीय राष्ट्रीय लोक नाच महोत्सव का समापन

  • Post By Admin on Jun 11 2024
तीन दिवसीय द्वितीय राष्ट्रीय लोक नाच महोत्सव का समापन

पटना : कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार के सौजन्य से पटना के प्रेमचंद रंगशाला में आयोजित "तीन दिवसीय द्वितीय राष्ट्रीय लोक नाच महोत्सव 2024" का आज समापन हो गया। यह महोत्सव 9 से 11 जून तक रंग समूह द्वारा आयोजित किया गया, जिसमें देशभर से आए कलाकारों ने अपने शानदार प्रदर्शन से दर्शकों का मन मोह लिया।

मंगलवार समापन दिवस पर, सिने कलाकार और लोकनर्तक मनोज पटेल ने अपने प्रदर्शन की शुरुआत "होते पराते चल जईह मोर राजा" गीत पर लोक नृत्य के साथ की। इस प्रस्तुति ने दर्शकों को लोक धुनों और नृत्य के पारंपरिक रंग में रंग दिया।

सुखरी राजभर के दल डफरा एंड पार्टी, उत्तरप्रदेश: इस दल ने डफरा लोक नृत्य की प्रस्तुति दी, जो विशेष अवसरों पर किया जाता है। इस नृत्य में होली, चैता, और सोहर जैसे पारंपरिक गीत गाए जाते हैं और कुल देवता की पूजा से पहले डफरा की पूजा की जाती है।

राशेश प्रसाद के दल बिदेसिया नाच पार्टी, भोजपुर: इस दल ने ताल परिचय, पूर्वी, निर्गुण, नचारी आदि के माध्यम से दर्शकों को लोक नृत्य और गीतों की एक अद्भुत झलक दिखाई। दल में हारमोनियम, ढोलक, तबला, और झाल जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्रों का उपयोग किया गया, जिसने प्रस्तुति को और भी जीवंत बना दिया।

अरविन्द कुमार के दल स्वर रंगमंडल, अरवल: इस दल ने सामाजिक गीत, श्रृंगारिक गीत, पूर्वी और भिखारी ठाकुर के गीतों को प्रस्तुत किया। उनकी प्रस्तुतियों में समाजिक और सांस्कृतिक तत्वों की गहरी झलक दिखी, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

महोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में राजकुमार नाहर (निदेशक, दूरदर्शन पटना), डॉ. अमरेन्द्र प्रसाद (निदेशक, सेंट स्टीफेंस स्कूल), और प्रो. कीर्ति (मनोविज्ञान विभाग, कॉलेज ऑफ कॉमर्स, पटना एवं अध्यक्ष, रंग समूह) ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और कलाकारों के प्रदर्शन की सराहना की।

महोत्सव के समापन के अवसर पर, संस्था के सचिव कुमार उदय सिंह ने सभी दर्शकों, आमंत्रित कलाकारों, और महोत्सव से जुड़े सभी व्यक्तियों को धन्यवाद दिया। उन्होंने अगले वर्ष पुनः महोत्सव आयोजित करने की सूचना भी दी और "तीन दिवसीय द्वितीय राष्ट्रीय लोक नाच महोत्सव 2024" का विधिवत समापन किया।

महोत्सव ने ना केवल लोक नृत्य की समृद्धि को प्रस्तुत किया बल्कि स्थानीय और राष्ट्रीय कलाकारों को भी एक मंच प्रदान किया। दर्शकों ने पूरे महोत्सव के दौरान विभिन्न लोक नृत्यों और गीतों का आनंद लिया, जो भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की विविधता और जीवंतता को दर्शाते हैं।

इस महोत्सव ने पटना में सांस्कृतिक समृद्धि को न केवल पुनर्जीवित किया बल्कि इसे और मजबूत किया है। लोक नृत्य और संगीत के इस आयोजन ने दर्शकों को मनोरंजन और ज्ञान से भरपूर अनुभव प्रदान किया, और यह स्पष्ट किया कि भारतीय लोक संस्कृति आज भी उतनी ही जीवंत है जितनी वर्षों पहले थी।