सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से मांगा जवाब, शराबबंदी कानून के एक प्रावधान को लेकर उठे सवाल
- Post By Admin on Dec 14 2024

पटना : बिहार में अप्रैल 2016 से लागू शराबबंदी कानून के एक महत्वपूर्ण प्रावधान पर अब सवाल उठने लगे हैं। इस कानून के तहत जब शराब पकड़ी जाती है तो साथ में बरामद नकद राशि भी जब्त कर ली जाती है। अब इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। अदालत ने बिहार सरकार से इस मुद्दे पर चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।
क्या है मामला?
बिहार में शराबबंदी कानून के तहत पुलिस द्वारा शराब के साथ जब्त की गई नकदी की राशि भी पुलिस द्वारा जब्त कर ली जाती है। यह कानून के तहत धारा 60 के तहत आती है। इसे पुलिस की मनमानी और मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के रूप में देखा जा रहा है। इस कानून के प्रावधान को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें इसे निरंकुश और अवैध बताया गया है।
याचिका में क्या कहा गया?
याचिका में अधिवक्ता आयुष आनंद ने बताया कि यह कानून मौलिक अधिकारों के खिलाफ है क्योंकि पुलिस बिना उचित कारण के नकदी को जब्त कर रही है, जो कि किसी के कानूनी अधिकारों का उल्लंघन है। याचिका में इसे अनावश्यक और दुरुपयोग के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बिहार सरकार से जवाब तलब किया है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
इस मामले में बिहार सरकार से सुप्रीम कोर्ट की पीठ, न्यायमूर्ति बिक्रमनाथ और न्यायमूर्ति प्रसन्ना वी वरले ने चार सप्ताह के भीतर जवाब देने का आदेश दिया है। यह आदेश कानून में सुधार की संभावना को दिखाता है और यह राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है।
पटना हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती
यह याचिका पटना उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ दायर की गई है। जिसमें शराब के साथ जब्त की गई नकदी के मामले में पुलिस को कस्टडी में रखने की अनुमति दी गई थी। याचिका के दावेदार युवा अधिवक्ता मोनू कुमार ने कहा कि यह कानून बिहार में पुलिसिया तंत्र के दुरुपयोग को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कानून के तहत पुलिस अपनी इच्छा से जब्ती की प्रक्रिया को अंजाम देती है। जिससे नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।