बिहार : तेज पछुआ हवा ने बढ़ाई ठिठुरन, डॉक्टर ने की अलर्ट रहने की अपील

  • Post By Admin on Jan 06 2023
बिहार : तेज पछुआ हवा ने बढ़ाई ठिठुरन, डॉक्टर ने की अलर्ट रहने की अपील

बेगूसराय: ठंड का मौसम प्रत्येक वर्ष आता है, लेकिन इस साल पिछले पांच दिनों से पड़ रही हार कंपाने वाली ठंड ने पिछले करीब दस वर्षों के सभी रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। लगातार गिरते जा रहे तापमान से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
लोगों को पांच दिनों से सूर्य का दर्शन नहीं हुआ है तो दूसरी ओर रात और दिन का तापमान लगातार कम होता जा रहा है। बीते देर रात से चल रही तेज पछुआ हवा ने तो शुक्रवार को जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। लोगों को ना आग के पास राहत मिल रही है और ना ही घर के अंदर रजाई और कंबल के अंदर। जिसके कारण परेशानी काफी बढ़ गई है तथा लोग ठंड का शिकार हो रहे हैं, अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। मौसम विभाग ने दस जनवरी तक कोल्ड डे की स्थिति बने रहने की आशंका जताई है, जिसके कारण लोगों को अलर्ट रहने की जरूरत है। गिरते तापमान में अगर सावधान नहीं रहे तो यह अत्यंत ही खतरनाक साबित हो सकता है।

जय मंगला क्लिनिक एवं वेल्लोर डायबिटीज रिसर्च सेंटर के निदेशक और चर्चित फिजिशियन डॉ. राहुल कुमार ने लोगों अलर्ट रहने की सलाह देते हुए बताया की ठंड का प्रकोप अभी बहुत अधिक है। अत्यधिक ठंड के मौसम में बॉडी के तापमान को नियंत्रित रखना जरूरी है, ताकि शरीर के सभी अंग ठीक से काम करता रहे। मनुष्य के शरीर में सामान्य तापमान की रेंज 97.7 फॉरेन हाइट से 99.5 डिग्री फॉरेन हाइट तक रहता है। इससे शरीर का थेरमोरेगुलट्री सेंटर इस टेम्परेचर को मेन्टेन रहता है। जब व्यक्ति कोल्ड एनवायरनमेंट के सम्पर्क में आता है तो व्यक्ति का ब्रेन मसल्स को सिग्नल भेजता है। इसके बाद मसल्स में कंट्रक्शन होता है तो शिवरिंग (कंपन) होती है। खून की नली जो शरीर के बाहरी हिस्से में रहती उसका सिकुरण हो जाता है। ताकि शरीर से हीट लॉस कम से कम हो और शरीर के वाइटल ऑर्गन को पर्याप्त ब्लड और हीट मिलता रहे। अगर बॉडी का यह थेरमोरेगुलट्री सिस्टम से बॉडी का हीट इंटरनल मेन्टेन नहीं हो रहा हो, व्यक्ति लगातार कोल्ड एनवायरनमेंट के एक्सपोजर में रहे तब हाइपो थेर्मिया का खतरा उत्पन्न होता है।

जब बॉडी का कोर टेम्परेचर 95 डिग्री फॉरेनहाइट से कम हो तो उसे हाइपो थेर्मिया कहा जाता। इसे तीन कैटेगरी में डिवाइड किया गया है, माइल्ड, मॉडरेट और सीवियर। माइल्ड हाइपो थेर्मिया में हार्ट रेट बढ़ जाता है, सांस की गति बढ़ जाती है, शिवरिंग होती है, कभी-कभी आवाज में लड़खराहट भी होती है। मॉडरेट ह्यपोथेरमिया में हार्ट रेट कम हो जाता है, सांस की गति कम हो जाती है। शिवरिंग नहीं होती, मरीज शरीर से कपड़ा उतार देता है, जिसे पैराडोक्सियल अनड्रेसिंग (विरोधाभासी कपड़े उतारना) कहा जाता है। कभी-कभी कार्डियक एरिद्मिया भी ईसीजी में दिखता है। सीवियर ह्यपोथेरमिया में हार्ट रेट और सांस की गति कम हो जाती है, पेशाब आना कम हो जाता है, फेफड़े में पानी भरने लगते हैं और कार्डियक एरिद्मिया स्पष्ट हो जाता है। धीरे-धीरे मरीज बेहोश हो जाता और फिर मौत हो सकती है। उन्होंने कहा कि ह्यपोथेरमिया इलाज में कुछ सावधानी रखनी चाहिए। मसाज नहीं करनी चाहिए। ऐसे में ड्राई हीट का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। गर्म कम्बल से लपेटना चाहिए, गर्म वातावरण में मरीज को रखना चाहिए, गर्म आईवी फ्लूड देना चाहिए, गर्म नरम ऑक्सीजन देना चाहिए। शराब के इस्तेमाल से हाइपो थेर्मिया का रिस्क बढ़ जाता है। शराब पीने से खून की नली फैलती है तो व्यक्ति को गर्मी महसूस होता है। लेकिन वास्तव में यह शरीर के हीट को लॉस करने में मददगार होती है।