फर्जी दस्तावेज़ से 85.53 करोड़ की ज़मीन बिक्री का घोटाला
- Post By Admin on Nov 16 2024

रांची : राजधानी रांची में ज़मीन माफिया कमलेश और उनके सहयोगियों ने 2020 से 2024 के बीच फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से 85.53 करोड़ रुपये की जमीन बेचकर बड़ा घोटाला किया। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस घोटाले के सबूत अदालत में पेश किए हैं। कमलेश को 26 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था और वह फिलहाल होटवार जेल में बंद है।
ईडी की जांच में खुलासे:
ईडी की जांच के अनुसार, कमलेश ने सरकारी अधिकारियों और ज़मीन दलालों के साथ मिलकर फर्जी नीलामी पेपर और दस्तावेज तैयार किए। इसके जरिए उन्होंने कानूनी रूप से प्रतिबंधित ज़मीनें भी बेच डालीं।
कमलेश ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए परसू साहू के नाम पर 38.87 एकड़ ज़मीन का फर्जी नीलामी पेपर तैयार कर उसे 46 करोड़ रुपये में बेच दिया। महावीर साहू के नाम पर 11.43 एकड़ ज़मीन के फर्जी कागजात बनाकर 14.73 करोड़ रुपये की कमाई की। इसी तरह, दुखन साहू के नाम पर 15.7 एकड़ ज़मीन जिसकी कीमत 24.33 करोड़ रुपये थी।
अधिकारियों की संलिप्तता:
इस घोटाले में कई प्रशासनिक अधिकारी और दलाल शामिल थे। कांके के तत्कालीन सीओ दिवाकर प्रसाद ने कमलेश को 43 एकड़ ज़मीन पर कब्जा दिलाने में मदद की जिसके बदले उन्हें 3.5 करोड़ रुपये रिश्वत मिली। इसके अलावा, डीटीओ धनबाद दिवाकर प्रसाद द्विवेदी, ज़मीन दलाल अमरेंद्र कुमार दुबे, अरविंद कुमार साहू और रेखा देवी भी इस घोटाले में शामिल पाए गए हैं और वे भी जांच के घेरे में हैं।
रिश्वत और फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन:
कमलेश ने रिश्वत की पहली किस्त 20 लाख रुपये कैश में रांची के जिला निबंधक राहुल चौबे के आवास पर दी। बाकी किस्तें रिंग रोड और अन्य स्थानों पर नकद रूप में दी गईं। अरविंद कुमार साहू के एचडीएफसी बैंक में खोले गए खाते में 4.87 करोड़ रुपये जमा और निकाले गए।
मोबाइल डिटेल्स और चैट:
ईडी ने कमलेश के मोबाइल कॉल डिटेल्स का विश्लेषण किया, जिसमें यह पाया गया कि उसने अरविंद कुमार साहू से 353 बार और अमरेंद्र से 30 बार बातचीत की। इसके अलावा, वॉट्सएप चैट में भी घोटाले से जुड़े कई अहम संकेत मिले हैं जो आरोपियों के बीच मिलीभगत को साबित करते हैं।
अदालती कार्रवाई:
ईडी ने कोर्ट को सूचित किया है कि इस घोटाले में अधिकारियों और दलालों का एक बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है। जांच जारी है और अन्य संदिग्धों पर भी कार्रवाई की संभावना है।