कोशी-मेची नदी जोड़ परियोजना पर उठे सवाल: लाभ कम, जोखिम ज्यादा
- Post By Admin on Aug 17 2024

पटना : कोशी नव निर्माण मंच और नदी घाटी मंच द्वारा पटना के माध्यमिक शिक्षक संघ भवन में आयोजित परिचर्चा में कोशी-मेची नदी जोड़ परियोजना के दावों पर गंभीर सवाल उठाए गए। वक्ताओं ने परियोजना के लाभों को नेशनल वाटर डेवलपमेंट एजेंसी द्वारा उपलब्ध डीपीआर के आंकड़ों के आधार पर खारिज करते हुए कहा कि यह परियोजना सिंचाई के लिए है, न कि बाढ़ नियंत्रण के लिए।
परिचर्चा में बताया गया कि जब पूरी परियोजना कार्यरूप में आएगी, तब कोशी से केवल 5247 क्यूसेक पानी डायवर्ट होगा, जबकि इसी साल 7 जुलाई को कोशी में 3 लाख 96 हजार क्यूसेक से अधिक पानी था। ऐसे में, सवाल उठता है कि इतने कम पानी से कोशी की बाढ़ कैसे कम होगी? इसके अलावा, परियोजना के तहत खरीफ फसलों की सिंचाई मानसून के दौरान की जाएगी, जब सीमांचल में पहले से ही पर्याप्त वर्षा होती है, जिससे सिंचाई की आवश्यकता पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है।
परियोजना में 13 नदियों को साइफन के माध्यम से पार कराया जाएगा, जिससे नए बाढ़ जलजमाव की आशंका बढ़ सकती है। डीपीआर में खरीफ में धान के उपज के क्षेत्रफल के आंकड़े भी सही नहीं प्रतीत होते।
वैकल्पिक उपायों पर विचार की जरूरत
वक्ताओं ने परियोजना के अलावा वैकल्पिक उपायों की चर्चा करते हुए कहा कि कोशी की छाड़न धाराओं को पुनर्जीवित कर कई गुना बाढ़ का पानी डायवर्ट किया जा सकता है। इसी प्रकार महानंदा बेसिन की छोटी नदियों के पानी को चेक डैम और लिफ्ट इरिगेशन से सिंचाई प्रदान की जा सकती है।
परिचर्चा में विभिन्न वक्ताओं की राय
इस अवसर पर सुनील सरला के कोशी गीत से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। शोधार्थी राहुल यादुका ने परियोजना पर विस्तार से अध्ययन रिपोर्ट प्रस्तुत की। प्रो. विद्यार्थी विकास ने परियोजना के पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों की खामियों को उजागर किया। पत्रकार पुष्यमित्र और अमरनाथ झा ने परियोजना की नदियों की स्थिति पर अपने विचार रखे। अन्य वक्ताओं में अररिया के मो. रिजवान, सुपौल से इंद्र नारायण सिंह, और दिल्ली विश्वविद्यालय के शोधार्थी रमेश कुमार समेत कई अन्य गणमान्य लोग शामिल थे।
कोशी नव निर्माण मंच की मांग
कोशी नव निर्माण मंच ने सरकार से परियोजना के अद्यतन दस्तावेज सार्वजनिक करने की मांग की है, जिसमें स्पष्ट हो कि कोशी की बाढ़ कम होगी, सीमांचल में सिंचाई की जरूरतें पूरी होंगी, और महानंदा बेसिन की नदियों में बाढ़ नहीं बढ़ेगी। मंच ने कहा कि जल्द ही इस आशय का खुला पत्र जारी कर सरकार से जवाब मांगा जाएगा और नदी संवाद आयोजित किया जाएगा।