मां छिन्नमस्तिका देवी मंदिर के पुजारी ने एनएचएआई को दी चेतावनी
- Post By Admin on Dec 12 2024
मुजफ्फरपुर : जिले के कांटी नगर परिषद स्थित सुप्रसिद्ध शक्तिपीठ मां छिन्नमस्तिका देवी मंदिर के प्रधान पुजारी आनंद प्रियदर्शी ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को कड़ी चेतावनी दी है। पुजारी ने कहा है कि अगर मंदिर की संरचना को नुकसान पहुंचाया गया या उसकी एक भी ईंट हटाई गई, तो वह आत्महत्या कर लेंगे। उन्होंने इस संबंध में जिलाधिकारी (डीएम) को भी पत्र लिखा है और मामले को गंभीरता से लेने की अपील की है।
अंडरपास निर्माण को लेकर विवाद
एनएचएआई ने मंदिर के पास से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर अंडरपास बनाने की योजना को स्वीकृति दी है। इसके तहत अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जिससे मंदिर की चहारदीवारी को भी तोड़ा जा चुका है। इस स्थिति को लेकर मंदिर प्रशासन और पुजारी गहरे चिंतित हैं क्योंकि यह मंदिर न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पुजारी आनंद प्रियदर्शी ने बताया कि यह मंदिर लगभग 22 साल पुराना है और यहां देश-विदेश से श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। उन्होंने कहा, “झारखंड के रजरप्पा मंदिर से त्रिशूल लाकर वर्ष 2000 में विधि-विधान से मां छिन्नमस्तिका की स्थापना की गई थी। 2002 में मंदिर का निर्माण पूरा हुआ और यह मंदिर हमारी आस्था और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बन चुका है।”
एनएचएआई द्वारा दिए गए आश्वासन पर उठाए सवाल
पुजारी ने कहा कि एनएचएआई ने पहले यह आश्वासन दिया था कि अंडरपास मंदिर से एक किलोमीटर दूर बनाया जाएगा लेकिन अब इसे मंदिर के बिल्कुल सामने बनाने की बात की जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि इस क्षेत्र में मात्र पौने दो किलोमीटर के भीतर तीन अंडरपास प्रस्तावित हैं। जो सुरक्षा मानकों के अनुसार नहीं हैं। उनका कहना था कि इसका असर भविष्य में स्थानीय ग्रामीणों के जीवन पर भी पड़ेगा।
प्रशासन की निष्क्रियता पर उठाए सवाल
पुजारी ने आरोप लगाया कि उन्होंने एनएचएआई और जिलाधिकारी को कई बार पत्र लिखकर इस समस्या का समाधान निकालने की अपील की है, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। उन्होंने कहा, “अगर हमारी मांगों को अनसुना किया गया और मंदिर को नुकसान पहुंचाया गया, तो मैं आत्महत्या कर लूंगा। यह मेरी व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र की आस्था और सांस्कृतिक पहचान को बचाने का संघर्ष है।”
स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं का विरोध
मंदिर के आसपास रहने वाले स्थानीय लोग और श्रद्धालु भी इस फैसले से नाराज हैं। उनका कहना है कि अंडरपास की योजना को मंदिर से दूर स्थानांतरित किया जाना चाहिए ताकि मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व संरक्षित रहे। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस निर्णय से न केवल मंदिर की संरचना को नुकसान पहुंचेगा, बल्कि क्षेत्र की आस्था को भी ठेस पहुंचेगी।
सरकार और प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की अपील
स्थानीय लोगों और मंदिर प्रशासन ने सरकार और प्रशासन से इस विवाद का शांति से समाधान निकालने की अपील की है। उनका कहना है कि यदि इस मामले का शीघ्र समाधान नहीं निकाला गया, तो यह धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से एक बड़ी क्षति हो सकती है। मंदिर प्रशासन की मांग है कि अंडरपास का निर्माण मंदिर से दूर किया जाए, ताकि श्रद्धालुओं की आस्था और सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण किया जा सके।