जमानत के बाद भी 24 हजार से अधिक कैदी जेल में बंद, मानवाधिकार अधिवक्ता एस.के. झा ने आयोग में दाखिल की याचिका
- Post By Admin on Mar 09 2025

मुजफ्फरपुर: देशभर की जेलों में 24,000 से अधिक कैदी ऐसे हैं, जिन्हें जमानत मिलने के बावजूद रिहाई नहीं मिल सकी है। यह चौंकाने वाला खुलासा इंडिया जस्टिस और नालसा सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार कुल 24,879 कैदी अब भी जेल में बंद हैं, जिनमें से आधे से अधिक उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार से हैं। खासकर बिहार की जेलों में 3,345 कैदी ऐसे हैं, जो कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद सलाखों के पीछे रहने को मजबूर हैं।
इस गंभीर मसले को लेकर मानवाधिकार मामलों के वरिष्ठ अधिवक्ता एस.के. झा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग में दो अलग-अलग याचिकाएँ दाखिल की हैं। उन्होंने इसे मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन बताते हुए तत्काल हस्तक्षेप और उच्चस्तरीय जांच की माँग की है। उनका कहना है कि किसी भी व्यक्ति का जमानत मिलने के बावजूद जेल में बंद रहना संविधान और न्यायिक सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि यदि किसी कैदी को जमानत मिल गई है, लेकिन वह शर्तें पूरी नहीं कर पा रहा है, तो उसे निचली अदालत में याचिका दायर कर रिहाई प्राप्त करने का अधिकार है। इसके अलावा, यदि किसी कैदी ने अपनी कुल सजा का एक-तिहाई हिस्सा जेल में पूरा कर लिया है, तो उसे विशेष परिस्थितियों में रिहा किया जा सकता है। हालांकि, यह नियम दुष्कर्म और हत्या जैसे गंभीर अपराधों पर लागू नहीं होता।
जमानत के बावजूद जेल में बंद रहने का यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 479 के तहत भी इस संबंध में प्रावधान किए गए हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में यह प्रभावी रूप से लागू नहीं हो पा रहा है। एस.के. झा का कहना है कि इस मुद्दे पर न्यायालय और आयोगों को तुरंत संज्ञान लेना चाहिए, ताकि हजारों कैदियों को उनका अधिकार मिल सके।
इस मामले के खुलासे के बाद पूरे देश में हलचल मच गई है। कई मानवाधिकार संगठनों ने इस विषय पर चिंता व्यक्त की है और सरकार से ठोस कदम उठाने की माँग की है। सवाल यह उठता है कि जब किसी व्यक्ति को कानूनी रूप से जमानत मिल चुकी है, तो वह जेल से बाहर क्यों नहीं आ पा रहा? क्या यह न्याय व्यवस्था की कमजोरी है या प्रशासनिक लापरवाही? इन सवालों के जवाब जल्द ही सामने आएँगे, लेकिन तब तक हजारों कैदी अपनी रिहाई का इंतजार कर रहे हैं।