मजदूर का बेटा बन गया मिसाल, टाइल लगाने के काम से IIT दिल्ली तक का सफर
- Post By Admin on Mar 22 2025

अलवर : कहते हैं हालात चाहे जैसे भी हों, अगर इरादे मजबूत हों तो कोई मंजिल दूर नहीं होती। ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी है राजस्थान के अलवर जिले के मंडवा गांव के अजय की, जिसने कभी पिता के साथ घरों में टाइल लगाने का काम किया, लेकिन आज वह आईआईटी दिल्ली में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई कर रहा है। गरीबी और संघर्ष के बीच पला-बढ़ा अजय बचपन से ही पढ़ाई में होशियार था। लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उसकी राहें आसान नहीं थीं। मां दूसरों के घर खाना बनाती थीं और पिता राजमिस्त्री का काम करते थे। कभी-कभी अजय भी पिता के साथ मजदूरी करने जाता था लेकिन उसने पढ़ाई का दामन नहीं छोड़ा।
गांव के ताने बने जुनून की वजह
अजय बताता है कि गांव में अक्सर लोग ताने मारते थे—'तू क्या करेगा पढ़-लिख के? आईआईटी-जेईई जैसे एग्जाम तो बड़े लोगों के बच्चे निकालते हैं।' लेकिन अजय ने इन तानों को अपनी ताकत बना लिया। उसने ठान लिया कि किसी भी हालत में खुद को साबित करके दिखाना है।
हालांकि 10वीं और 12वीं में अजय के नंबर औसत ही रहे, लेकिन उसका सपना बड़ा था आईआईटी में दाखिला लेना। अजय ने जेईई एडवांस्ड 2024 में शानदार प्रदर्शन करते हुए ऑल इंडिया रैंक 3044 हासिल कर ली।
पिता के साथ मजदूरी करते सीखा इंजीनियरिंग का असल मतलब
अजय ने बताया कि जब वह पिता के साथ टाइल लगाने का काम करता था, तभी उसे एहसास हुआ कि असली इंजीनियरिंग क्या होती है। तभी से उसने तय कर लिया था कि अब मजदूरी नहीं, इंजीनियरिंग करनी है। फिजिक्स वाला के इंटरव्यू में अजय ने खुलासा किया कि जब उसके पिता ने गांव में अपने ठेकेदार से एडमिशन के लिए उधारी मांगी तो वह पैसे देने से मुकर गया। उसे यकीन ही नहीं था कि मजदूरी करने वाले का बेटा आईआईटी में जा सकता है। लेकिन अजय के पिता ने हार नहीं मानी, किसी और से पैसे का इंतजाम किया और बेटे का दाखिला आईआईटी में कराया।
आईआईटी दिल्ली से कर रहा है कंप्यूटर साइंस में पढ़ाई
आज वही अजय आईआईटी दिल्ली में कंप्यूटर साइंस जैसे प्रतिष्ठित कोर्स में बीटेक कर रहा है। अजय की इस सफलता ने यह साबित कर दिया कि अगर हौसले बुलंद हों तो हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों, रास्ता निकल ही आता है। अजय कहता है 'आज मुझे लगता है कि मेरा सपना पूरा हुआ। मैंने सोचा था कि किसी भी आईआईटी में पहुंच जाऊं, लेकिन अब कंप्यूटर साइंस में पढ़ रहा हूं, यह मेरे लिए सपने से कम नहीं।'
अजय की कहानी बनी गांव के युवाओं के लिए प्रेरणा
अजय की सफलता ने उसके गांव में एक नई उम्मीद जगा दी है। अब गांव के बच्चे भी अजय को देखकर बड़े सपने देखने लगे हैं। अजय कहता है कि वह अपनी पढ़ाई पूरी कर गांव लौटेगा और वहां के बच्चों को आगे बढ़ने की राह दिखाएगा। अजय की कहानी बताती है कि गरीबी कोई बाधा नहीं, बस मेहनत और लगन होनी चाहिए। अगर दिल में जज्बा हो तो एक टाइल मजदूर का बेटा भी आईआईटी जैसी ऊंचाइयों को छू सकता है।