भीख देने पर होगी FIR, प्रशासन ने क्यों लिया ये कड़ा फैसला

  • Post By Admin on Jan 24 2025
भीख देने पर होगी FIR, प्रशासन ने क्यों लिया ये कड़ा फैसला

इंदौर : जिले में अब भिखारियों को भीख देने पर कानूनी कार्यवाही होगी। कलेक्टर द्वारा जारी किए गए आदेश के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति भिखारियों को भीख देता पाया गया तो उस पर FIR दर्ज की जाएगी। इस कदम के पीछे का मुख्य कारण प्रदेश सरकार का ‘भिखारी मुक्त इंदौर’ अभियान है। लेकिन क्या यह फैसला सही है? क्या भिखारी को भीख देने पर सजा होनी चाहिए? आइए जानते हैं इस कड़े फैसले की असल कहानी।

भिखारी मुक्त प्रदेश बनाने की पहल

मध्य प्रदेश की मोहन सरकार ने हाल ही में एक अभियान की शुरुआत की है। जिसका उद्देश्य प्रदेश को भिखारी मुक्त बनाना है। इस अभियान के तहत इंदौर में भिखारियों के बारे में एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। इंदौर प्रशासन द्वारा की गई जांच में यह खुलासा हुआ कि कई भिखारी न केवल प्लॉट्स, मकान और जमीनों के मालिक हैं, बल्कि उनकी मासिक आय भी बहुत अधिक है। कुछ भिखारियों की कमाई 50,000 से 60,000 रुपये तक है। जबकि कुछ के पास तो 10 बीघा तक की ज़मीन है।

हाल ही में, इंदौर महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम ने 323 भिखारियों को पकड़कर उज्जैन स्थित सेवाधाम आश्रम भेजा। यहां इनकी जांच की गई और यह पाया गया कि इनमें से कई भिखारी नशे की आदतों के शिकार थे और कुछ तो ड्रग्स के धंधे में भी शामिल थे। एक महिला भिखारी के पास 75,000 रुपये मिले थे, जिसे उसने अपनी एक हफ्ते की कमाई बताया।

ड्रग्स के धंधे पर शिकंजा

इंदौर में कई भिखारियों को ड्रग्स का धंधा करने के लिए मजबूर किया जा रहा था। इस बारे में इंदौर कलेक्टर का कहना है कि यह कदम ड्रग्स के धंधे को खत्म करने के लिए उठाया गया है, क्योंकि इसके तार राजस्थान से भी जुड़े हुए हैं। प्रशासन ने भिखारियों को ड्रग्स से मुक्ति दिलाने और उनकी जिंदगी में सुधार लाने के लिए सेवाधाम आश्रम में भेजा है, जहां उनकी देखभाल की जा रही है।

सरकार का रुख और विपक्ष की आलोचना

मध्य प्रदेश सरकार की इस पहल का समर्थन करते हुए राज्यमंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने कहा, “यह एक अच्छी पहल है। इंदौर स्वच्छता में नंबर-1 है और यह कदम अभिनंदनीय है। सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के कारण अब किसी को भीख मांगने की जरूरत नहीं है।”

हालांकि, इस फैसले पर विपक्षी नेताओं ने सवाल उठाए हैं। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार का कहना है, “सरकार विदेशों में जाकर निवेश की भीख मांग रही है, लेकिन अगर वह प्रदेश को कर्ज मुक्त बना सकती है तो यह एक बेहतर कदम होगा। अगर सरकार ड्रग्स के धंधे को नहीं रोक सकती, तो कम से कम भिखारियों की मदद तो रोके नहीं।”

कानूनी आधार : भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम

हालांकि केंद्र सरकार ने भिखारियों को भीख देने पर कोई राष्ट्रीय कानून नहीं बनाया है, लेकिन मध्य प्रदेश में भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम, 1973 के तहत भीख मांगना दंडनीय अपराध है। इस अधिनियम के तहत पहली बार पकड़े जाने पर भिखारी को दो साल की सजा हो सकती है। जबकि दूसरी बार पकड़े जाने पर सजा 10 साल तक हो सकती है। इसके अलावा, सार्वजनिक परेशानी (पब्लिक न्यूज़ेंस) को रोकने के लिए बीएनएस की धारा-133 के तहत भी भिखारी को सजा दी जा सकती है।

इंदौर प्रशासन का यह कदम प्रदेश को भिखारी मुक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल हो सकता है, लेकिन इसके परिणामों पर अभी पूरी तरह से विचार किया जाना चाहिए। प्रशासन ने भिखारियों को आश्रय स्थल पर भेजकर उनकी देखभाल करने की कोशिश की है, लेकिन यह देखना होगा कि क्या इस कदम से सच में प्रदेश में भिक्षावृत्ति पर काबू पाया जा सकता है या नहीं।