बिहार विश्वविद्यालय: स्वतंत्र भारत के स्वतंत्र बिहार की गौरवशाली पहचान

  • Post By Admin on Jan 02 2025
बिहार विश्वविद्यालय: स्वतंत्र भारत के स्वतंत्र बिहार की गौरवशाली पहचान

मुजफ्फरपुर : 2 जनवरी 1952 को बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर की स्थापना हुई थी। आज, 2 जनवरी 2025 को, यह विश्वविद्यालय अपने 73 गौरवशाली वर्षों को पूर्ण कर 74वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। यह विश्वविद्यालय बिहार के शैक्षिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

लंगट बाबू का यश मंदिर

इस विश्वविद्यालय की नींव स्वतंत्रता संग्राम के महानायक और शिक्षाविद लंगट बाबू ने रखी थी। इसे एक ऐसे शिक्षालय के रूप में स्थापित किया गया, जहां ज्ञान का दीप जलता रहे और क्षितिज पर सफलता के पुष्प खिलते रहें। यह विश्वविद्यालय न केवल बिहार बल्कि पूरे देश में उच्च शिक्षा का प्रकाश स्तंभ बन चुका है।

बिहार विश्वविद्यालय से बीआरए बिहार विश्वविद्यालय तक का सफर

शुरुआत में इसे बिहार विश्वविद्यालय के नाम से जाना गया, लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय कर दिया गया। यह बदलाव भारतीय संविधान के निर्माता बाबा साहेब को सम्मानित करने के उद्देश्य से किया गया।

विश्वविद्यालय की प्रगति और महत्व

यह विश्वविद्यालय शिक्षा, शोध और नवाचार के क्षेत्र में निरंतर प्रगति कर रहा है। यहां से ज्ञान की जो ज्योति प्रज्वलित हुई है, उसने न केवल बिहार बल्कि पूरे देश के तम को मिटाने का कार्य किया है।

शुभकामनाएं और मंगल कामना

इस ऐतिहासिक अवसर पर, हम कामना करते हैं कि यह विश्वविद्यालय अपने गौरवशाली इतिहास को बनाए रखते हुए शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छुए। इसकी प्रभा निरंतर बढ़े और यह ज्ञान का एक ऐसा केंद्र बने, जहां से हर छात्र अपने जीवन में सफलता की ओर अग्रसर हो सके।

जय हो, मंगल हो और इसका यश चिरकाल तक बना रहे।
— पंडित जय किशोर मिश्रा