बेटियों के नेतृत्व से बदल रही दुनिया, जानें क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय बालिका दिवस
- Post By Admin on Jan 24 2025

आज का दिन पूरे देश में बेटियों के सम्मान और सशक्तिकरण को समर्पित है। हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य समाज में बेटियों के अधिकारों को बढ़ावा देना, लैंगिक भेदभाव को समाप्त करना और उनके सशक्तिकरण की दिशा में जागरूकता फैलाना है। इस अवसर पर पूरे देश में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। जिसमें बेटियों की शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और स्वावलंबन से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जाती है।
राष्ट्रीय बालिका दिवस का महत्व
राष्ट्रीय बालिका दिवस न केवल बेटियों के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। जैसा कि प्रसिद्ध शायर बशीर बद्र कहते हैं—
"वो शाख है न फूल, अगर तितलियां न हों... वो घर भी कोई घर है जहां बच्चियां न हों..."
बेटियां सृष्टि का आधार होती हैं और उनके बिना परिवार, समाज और राष्ट्र की प्रगति अधूरी है। हालांकि, आज भी कई बेटियों को शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और समान अवसरों से वंचित रखा जाता है। यूनिसेफ के शोध के अनुसार, लड़कियां कई चुनौतियों के बावजूद बेहतर भविष्य के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। इसलिए इस दिवस को मनाने का उद्देश्य बालिकाओं को समान अधिकार दिलाने और समाज में उनकी स्थिति को सशक्त बनाने की दिशा में प्रयास करना है।
राष्ट्रीय बालिका दिवस क्यों मनाया जाता है?
इस दिन को मनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य लैंगिक भेदभाव को खत्म करना, बेटियों की शिक्षा और सुरक्षा को बढ़ावा देना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए समाज को प्रेरित करना है। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि हमें एक ऐसा समाज बनाना होगा जहां बालिकाएं सुरक्षित, सम्मानित और सशक्त महसूस करें।
राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरुआत कब हुई?
भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने साल 2008 में राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरुआत की थी। तब से हर साल 24 जनवरी को यह दिवस मनाया जाता है। इस दिन स्कूलों में पोस्टर, निबंध, चित्रकला और दीवार पेंटिंग जैसी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। साथ ही बालिकाओं के स्वास्थ्य और पोषण से जुड़े कार्यक्रम भी होते हैं।
बेटियों के सशक्तिकरण के लिए सरकार की योजनाएं
भारत सरकार और विभिन्न राज्य सरकारें बेटियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं चला रही हैं।
- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना (2015)
यह योजना लैंगिक समानता और बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई थी। इस योजना का उद्देश्य समाज में बेटियों के प्रति सोच बदलना और उन्हें शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध कराना है।
- सुकन्या समृद्धि योजना (2015)
इस योजना के तहत माता-पिता अपनी बेटियों के भविष्य के लिए बचत खाता खोल सकते हैं। यह उनकी शिक्षा और विवाह के समय आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है।
- उड़ान योजना (2014)
यह योजना छात्राओं के इंजीनियरिंग संस्थानों में नामांकन को बढ़ाने और उन्हें स्कूली शिक्षा से उच्च शिक्षा तक की तैयारी में सहायता करने के लिए चलाई गई है।
- बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम (2006)
इस कानून का उद्देश्य बाल विवाह को रोकना और इसमें शामिल लोगों को दंडित करना है।
- पॉक्सो अधिनियम (2012) – बाल शोषण से सुरक्षा
यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा के लिए "पॉक्सो (POCSO) अधिनियम" लागू किया गया, जिसे 2020 में और अधिक प्रभावी बनाया गया।
- किशोर न्याय अधिनियम (2015)
इस कानून का उद्देश्य जरूरतमंद बच्चों की देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
- पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन स्कीम
कोविड-19 के कारण अनाथ हुई बच्चियों की आर्थिक और शैक्षिक सहायता के लिए यह योजना शुरू की गई थी।
मध्य प्रदेश में बेटियों के लिए खास योजनाएं
मध्य प्रदेश सरकार बेटियों के सशक्तिकरण के लिए देश में सबसे अनूठे मॉडल पर काम कर रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में महिला एवं बाल विकास विभाग का बजट 81% बढ़ाकर 26,560 करोड़ रुपये किया गया है।
- लाडली लक्ष्मी योजना
यह योजना बालिकाओं की शिक्षा और भविष्य को सुरक्षित करने के लिए चलाई गई है। इस योजना से 48 लाख से अधिक बेटियों को लाभ मिला है और इससे राज्य में लिंगानुपात में भी सुधार हुआ है।
- गांव की बेटी योजना
गांव की बेटियों को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के लिए हर साल 5000 रुपये की छात्रवृत्ति दी जाती है।
- प्रतिभा किरण योजना
शहरी गरीब परिवारों की बेटियों को स्नातक शिक्षा के लिए 5000 रुपये की वार्षिक छात्रवृत्ति दी जाती है।
- सशक्त वाहिनी कार्यक्रम
इस कार्यक्रम के तहत बालिकाओं को आत्मरक्षा और कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जाता है। इससे 125 से अधिक लड़कियां पुलिस और अन्य सरकारी विभागों में चयनित हो चुकी हैं।
- चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 और महिला हेल्पलाइन 181
मध्य प्रदेश सरकार ने बेटियों की सुरक्षा और सहायता के लिए 1098 और 181 हेल्पलाइन सेवाएं शुरू की हैं।
बेटियों के भविष्य के लिए जरूरी कदम
बेटियों की शिक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करना केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि पूरे समाज को इसमें सक्रिय भूमिका निभानी होगी। बेटियों को अवसर देना ही सही मायनों में एक विकसित और सशक्त समाज की नींव रखता है।
राष्ट्रीय बालिका दिवस पर संकल्प लें
- बेटियों को समान अवसर और शिक्षा दें।
- बाल विवाह और लिंग भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाएं।
- बेटियों के आत्मनिर्भर बनने में सहयोग करें।
- उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य का ध्यान रखें।