स्पेस टूरिज्म की चकाचौंध के पीछे छुपा जलवायु अन्याय का स्याह सच

  • Post By Admin on Apr 29 2025
स्पेस टूरिज्म की चकाचौंध के पीछे छुपा जलवायु अन्याय का स्याह सच

एक ओर पूरी दुनिया भीषण गर्मी, बाढ़ और खाद्य संकट जैसे जलवायु संकटों से जूझ रही है, वहीं दूसरी ओर चंद अमीरों का अंतरिक्ष पर्यटन का जुनून जलवायु संकट को और गहरा कर रहा है। हाल ही में एक निजी मिशन के तहत दस मशहूर महिलाओं को अंतरिक्ष घुमाने की घटना को ‘महिलाओं के ऐतिहासिक पल’ के तौर पर प्रचारित किया गया, लेकिन जानकारों ने इस पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, चंद मिनटों के सब-ऑर्बिटल स्पेस फ्लाइट के पीछे का कार्बन उत्सर्जन एक आम नागरिक के वर्षों के कार्बन फुटप्रिंट से भी अधिक है। जहां एक ओर पहले के अंतरिक्ष मिशन वैज्ञानिक अनुसंधान और जलवायु निगरानी में सहायक थे, वहीं आज का स्पेस टूरिज्म केवल विलासिता और दिखावे का प्रतीक बनकर रह गया है।

स्पेस टूरिज्म से और गहरी हुई वैश्विक असमानता

विशेषज्ञों का मानना है कि स्पेस टूरिज्म ने वैश्विक असमानता को और भी उजागर कर दिया है। अमीर देशों और समुदायों के लोग अंतरिक्ष में मौज कर रहे हैं, जबकि गरीब देश और वंचित समुदाय जलवायु आपदाओं की सबसे बड़ी मार झेल रहे हैं। इस असमानता का खामियाजा वही लोग भुगत रहे हैं जिनके लिए अंतरिक्ष यात्रा तो दूर, सामान्य जीवन यापन भी एक संघर्ष है।

फेमिनिज्म की आड़ में ग्रीनवॉशिंग का आरोप

"महिलाओं को अंतरिक्ष में भेजना" जैसी पहल को प्रगतिशीलता के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया गया, लेकिन विशेषज्ञों ने इसे ‘ग्रीनवॉशिंग’ करार देते हुए चेताया है कि महिला सशक्तिकरण के नाम पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना एक खतरनाक चलन बनता जा रहा है। असली नारीवाद हर वर्ग के लिए बराबरी और भलाई की बात करता है, न कि चंद लोगों के विशेषाधिकारों को बढ़ावा देने का साधन बनता है।

मीडिया की भूमिका भी सवालों के घेरे में

विशेषज्ञों ने मीडिया, सरकारों और कंपनियों की जिम्मेदारी पर भी जोर दिया है कि वे अंतरिक्ष मिशनों के ग्लैमर से परे जाकर उनके पर्यावरणीय प्रभावों को भी उजागर करें। अगर मीडिया केवल चमक-दमक दिखाएगा और जलवायु संकट पर चुप रहेगा, तो सच दबकर रह जाएगा।

पहले धरती, फिर अंतरिक्ष

जब दुनिया भर में करोड़ों लोग बाढ़, सूखे और समुद्र के बढ़ते स्तर से जूझ रहे हैं, तब अंतरिक्ष पर्यटन पर खर्च किया जाने वाला पैसा और संसाधन प्राथमिकताओं पर गंभीर सवाल खड़े करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि हमारी असली यात्रा अंतरिक्ष भागने की नहीं, बल्कि धरती को बचाने की होनी चाहिए — सभी के लिए, न कि केवल कुछ चुनिंदा लोगों के लिए।

(मयूरी : लेखिका जलवायु और ऊर्जा क्षेत्र में सक्रिय लीगल एक्सपर्ट हैं)

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