सिंहावलोकन 2025 : ऑपरेशन सिंदूर से ड्रोन-युग तक, भारतीय सेना ने रचा इतिहास
- Post By Admin on Dec 30 2025
नई दिल्ली : वर्ष 2025 भारतीय सेना के लिए रणनीतिक मजबूती, तकनीकी आत्मनिर्भरता और निर्णायक सैन्य कार्रवाइयों का साक्षी रहा। इस वर्ष सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी अहम सैन्य कार्रवाई से लेकर अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों के समावेश और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन तक कई बड़े माइलस्टोन हासिल किए।
मई 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन ‘सिंदूर’ को अंजाम दिया। इस अभियान की योजना मिलिट्री ऑपरेशन्स ब्रांच में तैयार की गई, जबकि संचालन की निगरानी डीजीएमओ के ऑप्स रूम से चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और तीनों सेनाध्यक्षों की मौजूदगी में हुई। सीमित, सटीक और नियंत्रित इस कार्रवाई में सीमा पार स्थित नौ आतंकी कैंप तबाह किए गए, जिनमें सात को सेना और दो को वायुसेना ने ध्वस्त किया। इस दौरान भारत ने पाकिस्तान की ओर से किए गए ड्रोन हमलों को भी पूरी तरह विफल कर दिया।
7 से 10 मई के बीच पाकिस्तान द्वारा सैन्य और नागरिक ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिशों को भारतीय सेना की एयर डिफेंस यूनिट्स ने नाकाम कर दिया। इसके साथ ही एलओसी पर दर्जन भर से अधिक आतंकी लॉन्च पैड्स को नष्ट कर घुसपैठ और आतंकियों की आपूर्ति श्रृंखला को गंभीर झटका दिया गया। हालात की गंभीरता को देखते हुए 10 मई को पाकिस्तान के डीजीएमओ ने युद्धविराम की पहल की, जिसके बाद गोलीबारी रोकने पर सहमति बनी।
2025 में सेना की लंबी दूरी की फायरपावर में भी उल्लेखनीय इजाफा हुआ। ब्रह्मोस और पिनाका जैसे हथियार प्रणालियों की क्षमताओं का सफल परीक्षण और विस्तार किया गया। 1 दिसंबर को दक्षिणी कमान की ब्रह्मोस यूनिट ने अंडमान एवं निकोबार कमांड के सहयोग से वास्तविक युद्ध जैसी परिस्थितियों में मिसाइल फायर कर लंबी दूरी की प्रिसिजन स्ट्राइक क्षमता का प्रदर्शन किया। वहीं 24 जून को दो नई पिनाका रेजिमेंट्स को ऑपरेशनल किया गया और 29 दिसंबर को पिनाका लॉन्ग रेंज गाइडेड रॉकेट का सफल परीक्षण हुआ।
सेना की एविएशन क्षमता को भी नई धार मिली। जुलाई 2025 में सेना को पहले तीन एएच-64ई अपाचे हेलिकॉप्टर मिले, जबकि दिसंबर तक शेष तीन हेलिकॉप्टर भी बेड़े में शामिल हो गए। इनसे सेना की आक्रामक क्षमता और सटीक निशाने की ताकत कई गुना बढ़ी।
यह वर्ष नई सैन्य संरचनाओं के गठन के लिहाज से भी अहम रहा। ‘भैरव बटालियन’ और ‘अशनि प्लाटून’ जैसी नई यूनिट्स को शामिल किया गया। अक्टूबर 2025 में राजस्थान में आयोजित बड़े क्षमता-प्रदर्शन में इन नई संरचनाओं और आधुनिक तकनीकों का प्रदर्शन किया गया। भविष्य को ध्यान में रखते हुए 25 भैरव लाइट कमांडो बटालियनों के गठन की योजना और ड्रोन-आधारित स्ट्राइक क्षमताओं को बढ़ाने पर जोर दिया गया।
रक्षा खरीद और आत्मनिर्भरता के मोर्चे पर भी 2025 उपलब्धियों से भरा रहा। सेना की जरूरत का 91 प्रतिशत गोला-बारूद स्वदेशी स्रोतों से प्राप्त किया गया। ड्रोन क्षमताओं में बड़े पैमाने पर विस्तार हुआ, जिसमें हजारों रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट, टिथर्ड ड्रोन, लॉजिस्टिक ड्रोन और कामिकाजी ड्रोन शामिल हैं। रक्षा अधिग्रहण परिषद ने वर्ष के दौरान आधुनिक रडार, लोइटर म्यूनिशन, गाइडेड रॉकेट और ड्रोन डिटेक्शन सिस्टम की खरीद को मंजूरी दी।
डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के तहत आधुनिक डेटा सेंटर्स, इन-हाउस सॉफ्टवेयर और सैनिक हितैषी ऐप्स विकसित किए गए, जिससे निर्णय लेने की प्रक्रिया और सेवाएं अधिक प्रभावी बनीं। अक्टूबर में जैसलमेर में आयोजित कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में ग्रे जोन वॉरफेयर, संयुक्तता और नवाचार जैसे विषयों पर मंथन हुआ।
सैन्य कूटनीति और संयुक्त अभ्यासों में भी 2025 खास रहा। भारत ने फ्रांस, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूके, यूएई सहित कई देशों के साथ द्विपक्षीय अभ्यास कर इंटरऑपरेबिलिटी और काउंटर-टेरर क्षमताओं को मजबूत किया। इसके साथ ही ‘चाणक्य डिफेंस डायलॉग 2025’ और ‘इनो-योध्दा’ जैसे मंचों के जरिए नवाचार और आत्मनिर्भरता को नई दिशा दी गई।
कुल मिलाकर वर्ष 2025 भारतीय सेना के लिए परिचालन क्षमता, तकनीकी आत्मनिर्भरता और वैश्विक सैन्य सहयोग के लिहाज से एक मील का पत्थर साबित हुआ, जिसने भविष्य के युद्धक्षेत्र की चुनौतियों के लिए सेना को और अधिक सक्षम बना दिया।