विश्व स्तनपान सप्ताह पर जिला स्तरीय कार्यशाला आयोजित, शिशु स्वास्थ्य व पोषण पर जोर
- Post By Admin on Aug 05 2025

लखीसराय : विश्व स्तनपान सप्ताह 2025 के अवसर पर मंगलवार को जिला स्वास्थ्य समिति, लखीसराय के तत्वावधान में जिला स्तरीय ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सिविल सर्जन-सह-सचिव ने की। उन्होंने बताया कि हर साल 1 से 7 अगस्त तक मनाया जाने वाला यह सप्ताह मातृत्व और शिशु स्वास्थ्य के संरक्षण हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस वर्ष की थीम “Invest in Breastfeeding, Invest in Future” रही, जिसका उद्देश्य स्तनपान को बढ़ावा देकर भावी पीढ़ी को मजबूत बनाना है।
कार्यशाला में अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी ने स्तनपान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जन्म के पहले घंटे में स्तनपान की शुरुआत, छह माह तक केवल माँ का दूध, और दो वर्ष तक पूरक आहार के साथ स्तनपान जारी रखने से शिशु मृत्यु दर और कुपोषण में कमी लाई जा सकती है।
जिला कार्यक्रम प्रबंधक व जिला योजना समन्वयक ने पावर पॉइंट प्रस्तुति के माध्यम से विस्तार से बताया कि स्तनपान से शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जबकि मां में प्रसव उपरांत रक्तस्राव और स्तन कैंसर का खतरा कम होता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि नवजात को कृत्रिम दूध, बोतल या पैकेज्ड दूध नहीं देना चाहिए।
कार्यक्रम में यह भी बताया गया कि स्तनपान के प्रचार-प्रसार के लिए सभी आरोग्य मंदिरों पर पोस्टर, पंपलेट, प्रदर्शनियां, स्वास्थ्य वार्ता एवं परामर्श सत्र आयोजित किए जाएंगे। साथ ही कुपोषित बच्चों व माताओं की पहचान कर विशेष काउंसलिंग की जाएगी। कुपोषण के किसी भी लक्षण पर शीघ्र स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क की अपील की गई।
सदर अस्पताल लखीसराय के उपाधीक्षक डॉ. राकेश कुमार ने कहा कि छह माह के बाद पूरक आहार शुरू किया जाना चाहिए, जिसमें दलिया, खिचड़ी, फल, अंडा, उबली सब्ज़ियां आदि सम्मिलित हों। उन्होंने बीमारी की अवस्था में भी स्तनपान जारी रखने और बाद में अतिरिक्त भोजन देने की सलाह दी।
इस कार्यक्रम में जिला स्तर से सिविल सर्जन, अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, डॉ. राकेश कुमार (उपाधीक्षक), जिला कार्यक्रम प्रबंधक, योजना समन्वयक, सामुदायिक उत्प्रेरक, अस्पताल प्रबंधक एवं पिरामल स्वास्थ्य के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। वहीं, प्रखंड स्तर से सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, स्वास्थ्य प्रबंधक एवं सामुदायिक उत्प्रेरकों की सक्रिय भागीदारी रही।
कार्यशाला का उद्देश्य मातृत्व व शिशु स्वास्थ्य को लेकर जन-जागरूकता बढ़ाना और पोषण आधारित सतत विकास के लक्ष्य को साकार करना रहा।