घोटाले की गजब कहानी, 13 हजार की सैलरी में ही BMW और 4BHK फ्लैट
- Post By Admin on Dec 27 2024

मुंबई : महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में एक आश्चर्यजनक घोटाले का खुलासा हुआ है। जिसने सभी को हैरान कर दिया है। एक शख्स, जो महज 13 हजार रुपये की सैलरी पर कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहा था अचानक से लग्जरी कार में सफर करने लगा और अपनी गर्लफ्रेंड को 4 बीएचके फ्लैट गिफ्ट कर दिया। उसका एक दोस्त 35 लाख की एसयूवी कार खरीदने में सफल हो गया। इस अजीबोगरीब बदलाव को देख कर स्थानीय लोग हैरान थे और सवाल करने लगे कि यह सब कैसे संभव हुआ। इसके बाद इस मामले में एक गहरी साजिश का खुलासा हुआ। जिसमें सरकारी पैसे का गबन किया गया था।
21 करोड़ का घोटाला
दरअसल, आरोपी हर्ष कुमार क्षीरसागर जो कि छत्रपति संभाजीनगर के विभागीय खेल परिसर में संविदा कर्मचारी था, ने सरकारी खाते से 21 करोड़ 59 लाख 38 हजार रुपये निकाल लिए। यह राशि खेल परिसर के लिए सरकार द्वारा दिए गए धनराशि के रूप में थी। आरोपी और उनके साथियों ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए बैंक से इस राशि को ट्रांसफर किया और इसे अपने व्यक्तिगत खातों में जमा कर लिया।
इसके बाद इस पैसे से हर्ष कुमार ने खुद के लिए एक बीएमडब्ल्यू कार और बाइक खरीदी। इसके साथ ही उसने अपनी गर्लफ्रेंड को एयरपोर्ट के पास एक आलीशान 4 बीएचके फ्लैट गिफ्ट कर दिया। और तो और हर्ष ने एक जौहरी से हीरे का चश्मा बनाने का भी आदेश दिया। यह सब देखकर आसपास के लोगों को यकीन नहीं हो रहा था कि एक व्यक्ति जो 13 हजार की नौकरी कर रहा था। वह अचानक से इतनी संपत्ति कैसे जुटा सकता है।
फर्जी दस्तावेज़ और इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल
विभागीय खेल परिसर के नाम पर खुलवाए गए बैंक खाते में लेन-देन का काम विभागीय अधिकारियों के साइन किए गए चेक से होता था लेकिन हर्ष और उसके दो साथियों यशोदा शेट्टी और उनके पति बीके जीवन ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल किया और बैंक से सीधे पैसे अपने खाते में ट्रांसफर कर लिए। इस पूरे घोटाले का पता विभागीय उपनिदेशक को घटना के 6 महीने बाद चला।
अब तक की कार्यवाही
पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और हर्ष कुमार क्षीरसागर को पकड़ने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। बताया जा रहा है कि हर्ष कुमार एसयूवी कार लेकर फरार हो गया है। जबकि अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस अब बाकी के आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने की योजना बना रही है।
इस मामले में यह भी स्पष्ट हुआ कि कैसे एक संविदा कर्मचारी ने अपनी नौकरी के दायित्व का फायदा उठाकर सरकारी पैसे की अवैध तरीके से निकासी की और अपना व्यक्तिगत लाभ उठाया। यह घोटाला न केवल सरकारी वित्तीय प्रबंधन पर सवाल खड़ा करता है बल्कि यह भी दर्शाता है कि भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी से धन जुटाने की साजिशें कितनी बड़ी हो सकती हैं।