मालेगांव विस्फोट के आरोपियों के बरी होने पर भड़के ओवैसी, कहा- आतंक के आरोपी को बनाया गया सांसद, ये इंसाफ नहीं
- Post By Admin on Jul 31 2025

नई दिल्ली : मालेगांव बम धमाके के सभी आरोपियों को बरी किए जाने पर एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने फैसले को "न्याय का अपमान" बताते हुए जांच एजेंसियों और सरकार पर सीधे निशाने साधे। ओवैसी ने इसे "जानबूझकर की गई घटिया जांच और अभियोजन की नाकामी" करार दिया और सवाल उठाया कि छह नमाजियों की हत्या का जिम्मेदार कौन है?
जिन्हें धर्म के कारण मारा गया, उन्हें न्याय नहीं मिला
एक्स (पूर्व ट्विटर) पर ओवैसी ने लिखा, “मालेगांव विस्फोट में छह नमाजी मारे गए और लगभग 100 घायल हुए। उन्हें उनके धर्म के कारण निशाना बनाया गया। 17 साल बाद अदालत कहती है कि सबूत नहीं हैं। यह न्याय प्रणाली की विफलता नहीं, बल्कि एक रणनीतिक असफलता है।”
क्या सरकार अपील करेगी?
ओवैसी ने केंद्र की मोदी सरकार और महाराष्ट्र की तत्कालीन भाजपा सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा, “क्या यह सरकार उसी तरह अपील करेगी, जैसे मुंबई ट्रेन धमाके के आरोपियों की बरी होने पर की थी?” साथ ही उन्होंने महाराष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष दलों से भी जवाबदेही की मांग की।
एनआईए ने खुद नरमी बरतने का दबाव डलवाया था
उन्होंने 2016 में एनआईए की विशेष अभियोजक रोहिणी सालियान के उस बयान की भी याद दिलाई जिसमें उन्होंने दावा किया था कि उन्हें आरोपियों के प्रति नरम रुख अपनाने का कहा गया था। ओवैसी ने आरोप लगाया कि “एनआईए ने खुद ही आरोपियों को बचाने की कोशिश की। 2017 में साध्वी प्रज्ञा को बरी करवाने का प्रयास किया गया और फिर 2019 में उन्हें भाजपा ने सांसद बना दिया। क्या यही आतंकवाद पर सख्ती है?”
हेमंत करकरे की शहादत पर भी राजनीति
ओवैसी ने दिवंगत एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे को भी याद किया, जिन्होंने मालेगांव धमाके की जांच शुरू की थी और 26/11 मुंबई आतंकी हमलों में शहीद हुए। ओवैसी ने कहा, “भाजपा सांसद ने खुद कहा था कि उन्होंने करकरे को श्राप दिया था और उनकी मौत उसी का परिणाम है। क्या यह बयान आतंक के खिलाफ हमारे जज़्बे को कमजोर नहीं करता?”
एक आतंक के आरोपी को सांसद बनाया गया
अपने बयान के अंत में ओवैसी ने सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा, “दुनिया को याद रहेगा कि इस देश ने एक आतंकवाद के आरोपी को सांसद बना दिया। यह एक भयावह मिसाल है।”
गौरतलब है कि एनआईए की विशेष अदालत ने गुरुवार को मालेगांव विस्फोट मामले में सभी सात आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन यह सिद्ध करने में नाकाम रहा कि बम किसने बनाया, किसने रखा और मोटरसाइकिल किसकी थी।
इस फैसले के बाद मालेगांव कांड एक बार फिर राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है। जहां अदालत ने सबूतों की अनुपस्थिति के आधार पर फैसला सुनाया, वहीं सियासी गलियारे में इसे जांच एजेंसियों की "प्रेरित विफलता" बताया जा रहा है।