परमाणु धमकियों से डरता नहीं भारत, इजरायल-ईरान संकट में मध्यस्थता को तैयार : डॉ. एस. जयशंकर

  • Post By Admin on Jul 01 2025
परमाणु धमकियों से डरता नहीं भारत, इजरायल-ईरान संकट में मध्यस्थता को तैयार : डॉ. एस. जयशंकर

नई दिल्ली : विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने पाकिस्तान की परमाणु धमकियों को करारा जवाब देते हुए स्पष्ट किया है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी नीति से पीछे नहीं हटेगा और न ही किसी धमकी से डरने वाला है। उन्होंने कहा कि भारत अपने नागरिकों की रक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाने को तैयार है।

परमाणु हथियार की धमकी हमें नहीं डरा सकती
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की ओर से शांति वार्ता के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए जयशंकर ने कहा, “आतंकवाद और बातचीत एक साथ संभव नहीं हैं। पाकिस्तान को आतंकवाद खत्म करना होगा, तभी कोई संवाद मुमकिन है। हम अब आतंकवादियों को सिर्फ प्रॉक्सी नहीं मानते, बल्कि पाकिस्तान को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी।”

भारत बना वैश्विक संवाद का सेतु, इजरायल-ईरान तनाव पर मध्यस्थता को तैयार
इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव पर भारत की भूमिका पर बात करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, “भारत उन गिने-चुने देशों में से है जो दोनों पक्षों से खुलकर और ईमानदारी से संवाद कर सकता है। हमने पहले भी शांति कायम करने की कोशिश की है और अब भी अगर अमेरिका, इजरायल, ईरान या IAEA को किसी भी रूप में भारत की जरूरत हो, तो हम मदद को तैयार हैं।”

क्वाड और वैश्विक दक्षिण की आवाज बना भारत
जयशंकर ने भारत की भूमिका को ‘सभ्यतागत राष्ट्र’, ‘बहुलतावादी लोकतंत्र’ और ‘वैश्विक दक्षिण की आवाज’ के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थायित्व के लिए क्वाड देशों की एकजुटता को भी जरूरी बताया।

अमेरिका के साथ व्यापार समझौते की उम्मीद
‘न्यूजवीक’ के सीईओ डेव प्रगाड़ के साथ विशेष बातचीत में जयशंकर ने संकेत दिया कि भारत और अमेरिका के बीच बहुप्रतीक्षित व्यापार समझौता जल्द मूर्त रूप ले सकता है। उन्होंने कहा, “वार्ता जटिल है लेकिन हम सकारात्मक निष्कर्ष की उम्मीद कर रहे हैं।”

नई वैश्विक व्यवस्था की ओर बढ़ रही दुनिया
अमेरिकी नीतियों में बदलाव और चीन-भारत के उभार को लेकर जयशंकर ने कहा कि वैश्विक राजनीति अब गठबंधन-आधारित नहीं, बल्कि हितों पर आधारित हो रही है। अब देश अपने फैसले स्वतंत्र रूप से ले रहे हैं, जो एक नई विश्व व्यवस्था का संकेत है।

एस. जयशंकर के इस बयान ने एक बार फिर भारत की वैश्विक भूमिका को स्पष्ट कर दिया है — न केवल एक मजबूत राष्ट्र के रूप में जो आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख रखता है, बल्कि एक भरोसेमंद मध्यस्थ के रूप में जो जटिल अंतरराष्ट्रीय संकटों को सुलझाने में मददगार साबित हो सकता है।