दिल्ली सरकार को 2000 करोड़ का चूना, शराब नीति पर CAG की लीक रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
- Post By Admin on Jan 11 2025
नई दिल्ली : दिल्ली में लागू की गई विवादास्पद शराब नीति ने सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की लीक हुई रिपोर्ट के अनुसार, इस नीति से दिल्ली सरकार को 2000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ। यह नीति नवंबर 2021 में लागू की गई थी, लेकिन भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोपों के कारण इसे बाद में रद्द कर दिया गया।
सीएजी की रिपोर्ट के प्रमुख दावे
सीएजी की लीक हुई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि:
1. लक्ष्य हासिल करने में विफलता: शराब नीति अपने घोषित लक्ष्यों, जैसे सरकारी राजस्व बढ़ाना और शराब खुदरा बिक्री को पुनर्जीवित करना, हासिल करने में पूरी तरह विफल रही।
2. भ्रष्टाचार के आरोप: आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं को कथित तौर पर रिश्वत से लाभ हुआ।
3. सिफारिशों की अनदेखी: विशेषज्ञ पैनल की सिफारिशों को तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के नेतृत्व वाले मंत्रियों के समूह (GoM) ने नजरअंदाज कर दिया।
4. नीतिगत खामियां: लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में अनियमितताएं पाई गईं। घाटे में चल रही कंपनियों को बोली लगाने और लाइसेंस रिन्यू कराने की अनुमति दी गई।
5. प्रक्रियाओं का उल्लंघन: नीति से जुड़े प्रमुख निर्णय बिना कैबिनेट और उपराज्यपाल की मंजूरी के लिए गए। विधानसभा में नियमों को पेश करने की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
2000 करोड़ रुपये का नुकसान कैसे हुआ?
सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक, नीति के क्रियान्वयन में कई खामियां थी। बोलीदाताओं की वित्तीय स्थिति की जांच नहीं की गई। दोषी पाए गए लाइसेंसधारकों पर कोई दंडात्मक कार्यवाई नहीं की गई। जानबूझकर नियमों का उल्लंघन कर लाइसेंसधारकों को फायदा पहुंचाया गया।
भ्रष्टाचार और जांच का दायरा
शराब नीति पर भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद ED और CBI ने मामले की जांच शुरू की। जांच के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह सहित कई नेताओं पर भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे। इन नेताओं को गिरफ्तार भी किया गया। हालांकि बाद में उन्हें जमानत मिल गई।
शराब नीति का उद्देश्य
शराब नीति का उद्देश्य था:
1. शराब की खुदरा बिक्री को पुनर्जीवित करना।
2. सरकारी राजस्व में वृद्धि करना।
3. शराब की बिक्री को अधिक पारदर्शी और संगठित बनाना।
हालांकि, नीति लागू होने के बाद इसके विपरीत परिणाम देखने को मिले। सरकारी खजाने को बड़ा नुकसान हुआ और भ्रष्टाचार के आरोपों ने इसे विवादों में डाल दिया।
सीएजी रिपोर्ट का इंतजार
लीक हुई रिपोर्ट के बावजूद, इसे अभी दिल्ली विधानसभा में आधिकारिक रूप से पेश किया जाना बाकी है। रिपोर्ट में जो दावे किए गए हैं, वे दिल्ली सरकार और आम आदमी पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं।