पाकिस्तान और तालिबान के बीच वखान कॉरिडोर पर बढ़ा तनाव, चीन ने बढ़ाई सक्रियता
- Post By Admin on Jan 14 2025

पाकिस्तान और अफगान तालिबान के बीच बढ़ते तनाव के बीच वखान कॉरिडोर एक नया विवादित क्षेत्र बनता जा रहा है। अफगानिस्तान का यह ‘चिकन नेक’ कहे जाने वाला क्षेत्र चार देशों पाकिस्तान, तजाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान को जोड़ता है। अब यह एक नए भू-राजनीतिक संघर्ष का केंद्र बन गया है।
पाकिस्तान का वखान कॉरिडोर पर दावा
पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई ने वखान कॉरिडोर पर अपनी नज़रें गड़ा ली हैं। पाकिस्तान का यह दावा तालिबान के उस रुख के जवाब में आया है, जिसमें उसने डूरंड लाइन को मानने से इनकार कर दिया है। तालिबान ने तो यहां तक कह दिया है कि पेशावर भी अफगानिस्तान का हिस्सा है। इस बीच, पाकिस्तानी सेना ने वखान कॉरिडोर पर अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए तजाकिस्तान के साथ बातचीत शुरू कर दी है।
चीन की बढ़ती दिलचस्पी
चीन भी वखान कॉरिडोर पर सक्रिय हो गया है। 8 जनवरी को चीन की खुफिया एजेंसी से जुड़े तीन अधिकारी वखान कॉरिडोर पहुंचे। अफगानिस्तान के ग्रीन ट्रेंड नामक संगठन ने खुलासा किया है कि ये अधिकारी 12 जनवरी तक अफगानिस्तान के बदख्शान प्रांत में रहे। इनकी सुरक्षा तालिबानी सैनिकों ने की। बताया जा रहा है कि चीन ने तालिबान को स्पष्ट चेतावनी दी है कि वह वखान कॉरिडोर पर किसी भी अस्थिर गतिविधि को रोके।
चीन का डर और रणनीति
चीन को डर है कि वखान कॉरिडोर का इस्तेमाल उइगर मुस्लिम आतंकवादी उसके शिंजियांग प्रांत में अस्थिरता फैलाने के लिए कर सकते हैं। इस डर के चलते चीन ने तालिबान पर दबाव बनाकर एक विशेष आयोग का गठन कराया है, जो बीजिंग के साथ सहयोग करेगा।
तालिबान का रुख और क्षेत्रीय प्रभाव
वखान कॉरिडोर तालिबान के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम है। यह क्षेत्र अफगानिस्तान के लिए सिर के समान है। तालिबान ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी बाहरी ताकत द्वारा इस क्षेत्र पर कब्जे की कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हालांकि, ग्रीन ट्रेंड के अनुसार, तालिबान ने चीन के दबाव में इस क्षेत्र पर अपनी स्वायत्तता आंशिक रूप से खो दी है।
पाकिस्तान के इरादे और चुनौतियां
पाकिस्तान वखान कॉरिडोर पर कब्जा कर मध्य एशिया के देशों तक सीधा संपर्क स्थापित करना चाहता है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक चीन और तजाकिस्तान इस पर सहमति नहीं देते। पाकिस्तान के लिए इस क्षेत्र पर कब्जा करना संभव नहीं होगा।
डूरंड लाइन और वखान कॉरिडोर का इतिहास
वखान कॉरिडोर 1893 में ब्रिटिश साम्राज्य और रूस के बीच हुए डूरंड लाइन समझौते का हिस्सा है। इसे उस समय दोनों साम्राज्यों के बीच बफर जोन के रूप में स्थापित किया गया था। इस क्षेत्र में करीब 12,000 लोग रहते हैं। जो मुख्य रूप से पश्तून और वखानी समुदायों से हैं।