जाने क्या है मुस्लिम देशों का D-8 संगठन, जिसकी मिस्र में होनी है बैठक
- Post By Admin on Dec 17 2024

मुस्लिम देशों के संगठन D-8 की बैठक गुरुवार को मिस्र में होने जा रही है। इस बैठक में पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलयेशिया, इंडोनेशिया, तुर्की, ईरान, नाइजीरिया और मेजबान देश मिस्र समेत आठ मुस्लिम देशों के नेता हिस्सा लेंगे। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी इस बैठक में शामिल होने के लिए मिस्र रवाना हो रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, बैठक में फिलिस्तीन और लेबनान के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जा सकता है। इसके साथ ही इजरायल के खिलाफ आलोचना का प्रस्ताव भी पेश किया जा सकता है। गौरतलब है कि सीरिया में तख्तापलट के बाद इजरायल की गतिविधियां और आक्रामक हो गई हैं। हाल ही में इजरायल ने गोलान हाइट्स क्षेत्र में यहूदी आबादी को दोगुना करने का लक्ष्य तय किया है जिसे लेकर मुस्लिम देश चिंतित हैं।
ईरान के राष्ट्रपति मसूद पजेश्कियान के भी बैठक में शामिल होने की पुष्टि हुई है। ईरान, तुर्की और मलयेशिया जैसे देशों के नेतृत्व में D-8 का यह मंच मुस्लिम देशों के बीच आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने के लिए जाना जाता है।
क्या है D-8 संगठन?
D-8 संगठन को "डेवलपिंग-8" भी कहा जाता है क्योंकि विकासशील मुस्लिम देशों का एक समूह है। इसमें बांग्लादेश, मिस्र, इंडोनेशिया, ईरान, मलयेशिया, नाइजीरिया, पाकिस्तान और तुर्की शामिल हैं। इन देशों की कुल आबादी करीब 1.25 अरब है जो दुनिया के कुल मुस्लिमों का लगभग 60 प्रतिशत है।
खासतौर पर ईरान, तुर्की, मलयेशिया और इंडोनेशिया के शामिल होने से यह एक बड़ा गुट बन जाता है, जो सऊदी अरब से अलग है। इसमें शामिल मु्स्लिम देशों में अरब मूल के देश जैसे यूएई, सऊदी अरब, इराक, सीरिया, कुवैत, कतर आदि शामिल नहीं हैं।
इस संगठन की स्थापना जून 1997 में तुर्की में हुई थी। इसका मुख्य एजेंडा सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। इसके तहत ग्रामीण विकास, वित्तीय सहयोग, बैंकिंग, विज्ञान और तकनीकी जैसे क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ावा दिया जाता है।
D-8 संगठन की मिस्र में होने वाली बैठक में फिलिस्तीन और लेबनान में जारी संघर्ष को प्रमुखता से उठाया जाएगा। इसके साथ ही इजरायल की गोलान हाइट्स में आक्रामक नीतियों पर भी चर्चा होगी जहां इजरायल ने यहूदी आबादी को दोगुना करने का लक्ष्य तय किया है। इसके अलावा, बैठक में सीरिया के हालिया हालात पर भी मंथन किया जाएगा जहां तख्तापलट के बाद क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ गई है।