पुतिन की गुप्त मदद से किम जोंग का सैन्य विस्तार, यूक्रेन में भेजेंगे 10 गुना सैनिक

  • Post By Admin on Jan 10 2025
पुतिन की गुप्त मदद से किम जोंग का सैन्य विस्तार, यूक्रेन में भेजेंगे 10 गुना सैनिक

उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने हाल ही में मध्यम दूरी की हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण कर दुनिया को चौंका दिया है। विश्लेषकों का मानना है कि यह परीक्षण रूस की उन्नत रक्षा तकनीक की मदद से संभव हुआ है। इस गुप्त सहयोग के बदले किम जोंग उन यूक्रेन के खिलाफ रूस की मदद के लिए 1 लाख से अधिक सैनिक भेजने की तैयारी कर रहे हैं। इससे पहले उत्तर कोरिया ने 10,000 सैनिक भेजे थे, लेकिन अब यह संख्या 10 गुना बढ़ सकती है।

रूसी मदद से निहाल किम जोंग, क्षेत्रीय तनाव बढ़ा
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर कोरिया की इस सैन्य रणनीति से पूर्वी एशिया में तनाव बढ़ने की आशंका है। विशेषज्ञों का कहना है कि रूस से मिल रहे धन और तकनीकी सहयोग का उपयोग किम अपनी सेना के आधुनिकीकरण और सैन्य विस्तार के लिए कर रहे हैं। इससे दक्षिण कोरिया, जापान और अमेरिका के लिए खतरा पैदा हो सकता है।

आसन इंस्टीट्यूट फॉर पॉलिसी स्टडीज के वरिष्ठ विश्लेषक यांग यूके ने बताया कि रूस को सैनिकों की कमी का सामना करना पड़ रहा है और उत्तर कोरिया इस कमी को पूरा कर रहा है। यांग के अनुसार, प्योंगयांग इस सहयोग के बदले में रूस से बड़ी मात्रा में धन और तकनीकी सहायता प्राप्त कर रहा है।

अमेरिका और जापान ने जताई चिंता
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की उप राजदूत डोरोथी केमली ने सुरक्षा परिषद की बैठक में इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि रूस और उत्तर कोरिया के बीच बढ़ते सैन्य सहयोग से क्षेत्रीय शांति को खतरा है। उन्होंने कहा कि किम जोंग उन तेजी से हथियारों का उत्पादन बढ़ा रहे हैं, जिसमें हजारों टैंक और बख्तरबंद वाहन शामिल हैं। इन हथियारों की आपूर्ति रूस को की जा रही है, जो यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ रहा है।

दक्षिण कोरिया और जापान पर बढ़ा खतरा
विश्लेषकों का मानना है कि रूस से मिल रही मदद से किम जोंग उन अपने पड़ोसियों के खिलाफ आक्रामक रणनीति अपना सकते हैं। दक्षिण कोरिया के खिलाफ उनकी नीयत पहले से ही खराब रही है और हाल के दिनों में उत्तर कोरिया ने कई उकसाने वाली गतिविधियां की हैं।

रूसी सहयोग से किम जोंग का सैन्य विस्तार और यूक्रेन में सैनिकों की तैनाती पूर्वी एशिया में सुरक्षा संतुलन को बिगाड़ सकता है। इससे न केवल क्षेत्रीय तनाव बढ़ेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी शांति के लिए चुनौती खड़ी हो सकती है।