युद्धविराम के बावजूद इजरायल ने लेबनान पर किए 816 हमले
- Post By Admin on Dec 26 2024

इजरायल और लेबनान के बीच युद्धविराम समझौते के बावजूद, इजरायल ने एक महीने में 816 से अधिक जमीनी और हवाई हमले किए हैं। जिनमें लेबनान के विभिन्न हिस्सों को निशाना बनाया गया है। लेबनान सरकार ने इस उल्लंघन को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है और कहा है कि यह संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 1701 का उल्लंघन है। जिससे लेबनान की सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
लेबनान ने संयुक्त राष्ट्र में दी शिकायत
लेबनान के विदेश मंत्रालय ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक औपचारिक शिकायत दर्ज करवाई है। मंत्रालय ने आरोप लगाया है कि 27 नवंबर से 22 दिसंबर के बीच इजरायल ने लेबनान के खिलाफ 816 से अधिक हमले किए। जिसमें सीमावर्ती क्षेत्रों में गोलाबारी, घरों पर बमबारी और सड़कों को अवरुद्ध करना शामिल है। मंत्रालय ने इसे युद्धविराम समझौते का खुला उल्लंघन करार दिया और कहा कि इससे लेबनान की सैन्य तैनाती में बाधा उत्पन्न हो रही है जो क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए खतरनाक है।
इजरायली हमले और हिज़्बुल्लाह का हवाला
इजरायल का कहना है कि ये हमले हिज़्बुल्लाह के आतंकवादियों को निशाना बनाकर किए गए थे। बुधवार को इजरायली युद्धक विमानों ने पूर्वी लेबनान के बाल्बेक क्षेत्र में एक घर पर हमला किया। हालांकि इस हमले में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। इसके बाद, इजरायली तोपखाने ने दक्षिणी सीमा पर मारून अल-रस गांव को भी निशाना बनाया।
विराम समझौते के बावजूद उल्लंघन
इजरायल और हिज़्बुल्लाह के बीच लगभग 14 महीनों तक चली लड़ाई के बाद 27 नवंबर को युद्धविराम समझौता लागू हुआ था। इस समझौते में लेबनानी सेना को अपनी सीमा पर और दक्षिणी क्षेत्रों में सुरक्षा नियंत्रण संभालने का दायित्व सौंपा गया था। हालांकि, इजरायल द्वारा लगातार हमले किए जाने से इस समझौते की सफलता पर प्रश्न चिन्ह लग गया है।
लेबनान के लिए गंभीर खतरा
लेबनान सरकार ने इस घटना को लेकर कहा है कि इजरायल के हमले न केवल युद्धविराम समझौते का उल्लंघन हैं बल्कि वे संयुक्त राष्ट्र संकल्प 1701 के प्रावधानों को लागू करने के प्रयासों के लिए भी एक बड़ा झटका हैं। इस तरह के हमले न केवल लेबनानी सेना की तैनाती में रुकावट पैदा कर रहे हैं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों के तहत क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा प्राप्त करने की दिशा में भी एक गंभीर खतरा उत्पन्न कर रहे हैं।
संभावित परिणाम
यदि यह संघर्ष जारी रहता है तो इससे न केवल दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है बल्कि पूरे मध्य पूर्व में स्थिति और भी विकट हो सकती है। संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से इस स्थिति को शांत करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि इस संघर्ष का और व्यापक रूप से फैलाव न हो।