रास्ते में मलबा और शवों के टुकड़े, फिर भी फिलिस्तीनियों के चेहरे पर खुशी
- Post By Admin on Jan 20 2025

गाजा में 15 महीने तक चले भीषण संघर्ष के बाद आखिरकार संघर्ष विराम लागू हो चुका है और फिलिस्तीनी अपने उजड़े हुए घरों की ओर लौटने लगे हैं। हालात कठिन हैं, रास्ते मलबे से भरे हुए हैं और कई जगह शवों के टुकड़े पड़े हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद घर लौटने की चाहत और अपने अपनों से मिलने की उम्मीद उनके चेहरों पर साफ झलक रही है। संघर्ष के दौरान उजड़े घरों को देख कर लोग भले ही दुखी हों, लेकिन उनके दिलों में घर वापसी का जज्बा और जश्न का माहौल बना हुआ है।
माजिदा अबू जराद का संघर्ष
माजिदा अबू जराद और उनका परिवार संघर्ष की शुरुआत में गाजा में अपने घर में किसी तरह सुरक्षित रहे थे, लेकिन अब वह घर की मात्र यादें रह गई हैं। अबू जराद अपने परिवार के साथ गाजा पट्टी के मुवासी स्थित टेंट सिटी में शरण लिए हुए थीं। उन्होंने संघर्ष विराम के पहले ही अपने घर लौटने की तैयारी शुरू कर दी थी। वह बताती हैं कि गाजा में युद्ध के दौरान उन्हें सात बार अपना ठिकाना बदलने पर मजबूर होना पड़ा था। इस दौरान उन्हें स्कूलों के कमरों में अजनबियों के साथ सोना पड़ा और साफ पानी तक नसीब नहीं हुआ। अब जब संघर्ष विराम हुआ है, तो उनका परिवार उम्मीद के साथ घर की तरफ लौट रहा है, ताकि वे उत्तर में अपने रिश्तेदारों से मिल सकें।
गाजा में घर वापसी की ललक
यह सिर्फ अबू जराद की कहानी नहीं है, बल्कि हजारों फिलिस्तीनी अपनी घर वापसी की राह पर हैं। संघर्ष विराम के दौरान, गधों द्वारा खींची जा रही गाड़ियों पर लोग अपने सामान लेकर घरों की ओर रवाना हो गए। मोहम्मद महदी, जो रास्ते की कठिनाइयों के बावजूद घर लौटने की उम्मीद में यात्रा पर निकले थे, ने बताया कि मलबे से भरे रास्तों पर चलते हुए भी उनके दिलों में अपनों से मिलने की एक गहरी उम्मीद थी। वह बताते हैं कि गाजा सिटी की गलियों में हमास की पुलिस तैनात थी, जो लोगों की घर वापसी में मदद कर रही थी।
टूटे घर, फिर भी जश्न
हालांकि, गाजा में कई घर पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं, फिर भी फिलिस्तीनी लोगों के चेहरों पर खुशी की कोई कमी नहीं है। महदी और उनके जैसे अन्य लोग अपने घरों और गलियों से मलबा हटाते हुए, उस क्षण का जश्न मना रहे हैं जिसका वे 15 महीने से इंतजार कर रहे थे। 48 साल की विधवा उम साबेर, जो छह बच्चों की मां हैं, भी अपने घर लौट चुकी हैं। सुरक्षा कारणों से अब उनकी पहचान ‘साबेर की मां’ के तौर पर हो गई है। उन्होंने बताया कि घर लौटते समय उनके परिवार को गलियों में शव मिले। जिनमें से कुछ शव हफ्तों से वहीं पड़े हुए थे।
गाजा संघर्ष और मौत का मंजर
7 अक्टूबर 2023 को गाजा में लड़ाई की शुरुआत हुई थी, जब हमास के आतंकवादियों ने दक्षिणी इजरायल पर हमला किया और 1200 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद इजरायली सेना ने बमबारी शुरू कर दी। इस युद्ध में गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 46 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे गए। जबकि इजरायल का दावा है कि उसने 17 हजार से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया है। हालांकि इस दावे के पक्ष में कोई ठोस सबूत प्रस्तुत नहीं किया गया है।
घरों की लौटती उम्मीद
अब, संघर्ष विराम के बाद गाजा में एक नई उम्मीद की लहर चल रही है। लोग अपने घरों को फिर से बसाने की कोशिशों में जुटे हैं। हालांकि रास्ते में मलबा और शवों के टुकड़े उनकी जिजीविषा की कहानी बयां करते हैं। फिर भी, फिलिस्तीनी अपने घर लौटने के बाद एक नई शुरुआत की उम्मीद लेकर जी रहे हैं। संघर्ष के इस दौर में भले ही उनकी दुनिया उजड़ी हो, लेकिन घर वापसी का जश्न और अपनों से मिलन की उम्मीद उनके दिलों में नई जिंदगी की ख्वाहिश जगा रही है।