16 साल से कम उम्र के बच्चे नहीं चला पाएंगे सोशल मीडिया, नियम तोड़ने पर लगेगा भारी जुर्माना

  • Post By Admin on Nov 23 2024
16 साल से कम उम्र के बच्चे नहीं चला पाएंगे सोशल मीडिया, नियम तोड़ने पर लगेगा भारी जुर्माना

ऑस्ट्रेलिया सरकार ने बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सोशल मीडिया पर एक ऐतिहासिक कदम उठाने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री एंथनी अलबानीज ने संसद में कहा कि सरकार 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया का उपयोग प्रतिबंधित करने वाला कानून बनाएगी। इस कानून के तहत 16 साल से कम उम्र के बच्चे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग नहीं कर सकेंगे और ऐसा होने पर संबंधित कंपनियों पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा।

क्यों लिया गया यह कदम?
सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव और बच्चों पर इसके नकारात्मक प्रभावों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। ऑस्ट्रेलिया सरकार का मानना है कि सोशल मीडिया के कारण बच्चे न केवल अपनी पढ़ाई और शारीरिक गतिविधियों से दूर हो रहे हैं बल्कि इसका उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा, "यह समय है कि बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जाए। टेक कंपनियां बच्चों के लिए पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने में विफल रही हैं। अब सरकार को यह जिम्मेदारी लेनी होगी।"

ऑस्ट्रेलिया के नए कानून के तहत 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया अकाउंट बनाने पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। यह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की जिम्मेदारी होगी कि वे सुनिश्चित करें कि 16 साल से कम उम्र के बच्चे उनके प्लेटफॉर्म का उपयोग न करें। यदि कोई कंपनी इस कानून का पालन करने में विफल रहती है, तो उस पर 33 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 2787 करोड़ रुपये) तक का भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।

12 महीनों के भीतर होगा लागू:
सरकार ने घोषणा की है कि इस साल संसद में बिल पेश किया जाएगा और इसे पास होने के 12 महीने बाद लागू किया जाएगा।

ऑस्ट्रेलिया बना पहला देश:
नए कानून के साथ ऑस्ट्रेलिया ऐसा पहला देश बन जाएगा जिसने सोशल मीडिया के उपयोग के लिए न्यूनतम उम्र सीमा निर्धारित की है।

जनता और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया:
इस फैसले पर जनता और विशेषज्ञों की मिश्रित प्रतिक्रिया है। जहां कुछ लोग इसे बच्चों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी कदम मानते हैं। वहीं, कुछ इसे टेक्नोलॉजी के दौर में अव्यवहारिक मानते हैं। ऑस्ट्रेलिया सरकार का यह कदम अन्य देशों के लिए भी एक उदाहरण बन सकता है। देखना यह होगा कि यह कानून लागू होने के बाद सोशल मीडिया कंपनियां और माता-पिता इसे कैसे अपनाते हैं।