पपेट जर्नलिज्म : कठपुतली पत्रकारिता पर आयोजित संवाद, मीडिया के लोकतांत्रिकरण व वैकल्पिक माध्यमों पर चर्चा
- Post By Admin on Jan 24 2025

मुजफ्फरपुर : जिले के मालीघाट स्थित सरला श्रीवास सामाजिक सांस्कृतिक शोध संस्थान के संयोजक और कठपुतली कलाकार सुनील सरला की अध्यक्षता में “पपेट जर्नलिज्म” (कठपुतली पत्रकारिता) पर एक विशेष संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में वर्ल्ड डिजिटल अवार्ड से सम्मानित पत्रकार और सी जी नेट स्वर के संचालक शुभ्रांशु चौधरी ने अपने विचार साझा करते हुए मीडिया के लोकतांत्रिकरण और वैकल्पिक मीडिया की आवश्यकता पर जोर दिया। जिससे सुदूर अंचलों के लोगों की आवाज़ उठाई जा सके, जिन्हें पारंपरिक मीडिया में जगह नहीं मिलती।
शुभ्रांशु चौधरी ने कहा, “मीडिया का लोकतांत्रिकरण आज की जरूरत है, जहां आम लोगों की बात सामने आ सके और खासकर उन क्षेत्रों की जो मीडिया के डार्क जोन में आते हैं। पपेट जर्नलिज्म एक ऐसा माध्यम है जो नुक्कड़ नाटक, गीत-संगीत और कठपुतली कला का इस्तेमाल करके लोगों को जागरूक कर सकता है।”
उन्होंने इस कला की शुरुआत के बारे में भी बताया और कहा, “बचपन में जब हम तीर्थ यात्रा पर जाते थे, तो स्प्रिंग वाली कठपुतली का आनंद लेते थे। उस समय मनोरंजन के अन्य साधन उपलब्ध नहीं थे, लेकिन कठपुतली कला ने हमें बहुत कुछ सिखाया और हम इसका आनंद उठाते थे।”
2014 में गोंदिया, महाराष्ट्र में शालेकशा नामक स्थान पर कठपुतली कला का प्रशिक्षण देने वाले प्रसिद्ध गुरु रामलाल भट्ट से सुनील सरला की मुलाकात हुई थी। इस प्रशिक्षण में भारत के विभिन्न हिस्सों के युवा और सामाजिक कार्यकर्ता विशेषकर आदिवासी समाज के लोग शामिल हुए थे। सुनील ने बताया, “हमने प्रशिक्षण की शुरुआत अंगुली चलाने से की थी और बिहार से मैं अकेला था।”
कार्यक्रम में शामिल अन्य कलाकारों और प्रशिक्षकों के योगदान को भी सराहा गया। गोंदिया में यह कार्यक्रम पहले छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले के भोरमदेव से शुरू हुआ था और सी जी नेट स्वर जन पत्रकारिता जागरूकता यात्रा के माध्यम से यह सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों तक पहुंचने में सफल हुआ।
अंतरराष्ट्रीय सहभागिता और प्रभाव
इस कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय सहभागिता का भी उल्लेख किया गया। अमेरिका से सैनन सैंडर्स और स्पेंसर मिलीशिप के रूप में नेशनल ज्योग्राफी के प्रोड्यूसर भी इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने न केवल प्रशिक्षण स्थल का वीडियो रिकॉर्ड किया, बल्कि एक सप्ताह तक कार्यक्रम के दौरान कलाकारों के साथ रहे।
स्थानीय सहयोगी और योगदान
कार्यक्रम में स्थानीय सहयोगी के रूप में सामाजिक कार्यकर्ता नरेश बुनकर, मध्यप्रदेश के मोहन यादव, कठपुतली गुरु रामलाल भट्ट, कलाकार अमर मरावी, राजेश यादव, शेताली शेडमांके गोंड, रंजीत कच्छवाहा, पवन पांडेय, रामकली उईके समेत कई अन्य साथी शामिल थे। जिन्होंने इस कला को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस कार्यक्रम के बाद सरला श्रीवास ने भी इस कला में रुचि ली और छत्तीसगढ़ रत्न विभाष उपाध्याय से रायपुर और गढ़चिरौली (महाराष्ट्र) में कठपुतली कला की बारीकियों को सीखने का अवसर प्राप्त किया।