भगवान बिरसा मुंडा के 150वीं जन्मवर्ष के अवसर पर पौधारोपण, कहा एक वृक्ष सौ पुत्र समाना

  • Post By Admin on Oct 22 2024
भगवान बिरसा मुंडा के 150वीं जन्मवर्ष के अवसर पर पौधारोपण, कहा एक वृक्ष सौ पुत्र समाना

पटना : आज 22 अक्टूबर 2024 को पटना के शाखा मैदान राजेन्द्र नगर में जनजातीय गौरव वर्ष तथा भगवान बिरसा मुंडा के 150वीं जन्मवर्ष के अवसर पर पर्यावरण भारती द्वारा कार्तिक मास में नारियल के वृक्ष का पौधारोपण कर शुभारंभ किया गया। पौधारोपण का नेतृत्व हिमालय कुमार ने किया।       

पर्यावरण भारती के संस्थापक, पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के प्रांत संयोजक एवं अखिल भारतीय पेड़ उपक्रम टोली सदस्य राम बिलास शाण्डिल्य ने कहा कि "एक वृक्ष सौ पुत्र समाना" अर्थात एक वृक्ष लगायें और 5 वर्षों तक पुत्रवत संरक्षण करें। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, वृक्ष लगाने के साथ-साथ सुरक्षा भी आवश्यक है। 

मुंगेर निवासी कवि, भू-वैज्ञानिक तथा पर्यावरणविद प्रोफेसर डाॅ. मेहता नगेन्द्र सिंह ने "पेड़ की चिन्ता " पुस्तक में बताया हैं कि, "वृक्ष प्रकृति का श्रृंगार है।"
अतः संसार के मानव को "वृक्षं शरणं गच्छामि"। 
आधुनिक विज्ञान के चकाचौंध में मनुष्य वृक्षों को धड़ल्ले से काट कर नष्ट कर रहे हैं। 

परिणामस्वरूप संसार में मानव के साथ-साथ सभी जीव-जन्तु भी समाप्त हो जायेंगे। प्रकृति से छेड़छाड़ का ही परिणाम कोरोना वायरस महामारी था। इस महामारी में बहुत से लोगों ने अपने सगे संबंधियों को दम तोड़ते हुए अपनी आँखों से देखा है। अब अपने भविष्य के लिए अपने आसपास वृक्षारोपण अभियान चलायें। इससे ही पर्यावरण संरक्षण होगा। अन्यथा जल के तरह ऑक्सीजन भी खरीदना होगा तथा पीठ पर सिलिंडर लेकर चलने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। वायु प्रदूषण का नमूना भारत की राजधानी दिल्ली है। दिवाली के पहले ही वायु प्रदूषित हो गया है। वृक्ष कहता है - हे मानव! तुम मेरी रक्षा करो। मैं मानव जाति की रक्षा करूँगा।"                          

शाण्डिल्य ने बताया कि जल, जंगल, जमीन, आजादी और अस्मिता की रक्षा हेतु अंग्रेजों के विरूद्ध स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व भगवान बिरसा मुंडा ने किया। उनके जन्म के 150वीं वर्ष पर "जनजातीय गौरव वर्ष" मनाया जा रहा है। 

भगवान बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड राज्य के खूँटी जिला के उलिहातु गाँव में एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके पिताजी सुगना मुंडा तथा माता जी करमी मुंडा थे। उनके गुरू आनंद पाण्ड़ (आनंद स्वांसी) तोरपा प्रखंड के गोड़बेड़ी के अनुसूचित जाति के थे। उनसे ही पीपल वृक्ष के नीचे तीरंदाजी, गुरिल्ला युद्ध और रामायण-महाभारत का ज्ञान प्राप्त किये। 

1895 में लगान माफी हेतु भगवान बिरसा मुंडा अंग्रेजों के विरूद्ध आंदोलन किये परिणामस्वरूप गिरफ्तार किए गये और राँची जेल में धीमा जहर देकर मौत के मुँह में 9 जून 1900 को सदा के लिए सुला दिये गए। वे शहीद होकर अमर हो गए। उनके सम्मान में उन्हें "धरती आबा या धरतीबा" कहते  हैं। ऐसे महापुरुष के स्मरण में पौधारोपण स्मरणीय कार्य है।        

पर्यावरण भारती के पौधारोपण कार्यक्रम में राम बिलास शाण्डिल्य, हिमालय कुमार, राजेश कुमार सिंह, सुजीत कुमार सिंह, नीरज नयन, विनोद साह, विकास, राज, यश, साहिल, भोला प्रसाद, कृष्णा, सचिन, सुखेन्दु, मोहन प्रसाद इत्यादि ने भाग लिए।