तिरहुत की सांस्कृतिक विरासत पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन
- Post By Admin on Jan 14 2025

मुजफ्फरपुर : कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार के संग्रहालय निदेशालय अंतर्गत रामचंद्र शाही संग्रहालय द्वारा ‘तिरहुत की सांस्कृतिक विरासत’ तथा ‘विरासत के संरक्षण में संग्रहालय की भूमिका’ विषय पर एक दिवसीय शैक्षणिक संगोष्ठी का आयोजन सोमवार को किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों और जनमानस को धरोहर के प्रति जागरूक और प्रोत्साहित करना था।
संगोष्ठी का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। मुख्य अतिथि डॉ. डी.एन. सिन्हा पूर्व अधीक्षण पुरातत्त्वविद ने अपने संबोधन में तिरहुत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि वैदिक काल से लेकर आधुनिक काल तक यह क्षेत्र महत्वपूर्ण रहा है। चेचर, वैशाली, लौरियानंदनगढ़, रामपुरवा और केसरिया जैसे पुरास्थलों का विशेष उल्लेख किया गया।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. संजय पंकज ने कहा कि संग्रहालय भ्रमण के दौरान अतीत को कल्पनाशीलता से जोड़ना आवश्यक है जिससे हमारी विरासत से जुड़ाव बना रहे। उन्होंने साहित्य के माध्यम से इतिहास और विज्ञान को जानने पर भी बल दिया।
डॉ. शिवेश कुमार ने इतिहास को वर्तमान और अतीत के बीच संवाद बताते हुए इसे पंचम वेद की संज्ञा दी। उन्होंने ज्ञान की परंपरा को समझने में इतिहास की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। डॉ. अरुण कुमार ने तिरहुत के पुरातात्त्विक महत्व और साहित्य में वर्णित स्थलों की पहचान पर चर्चा की।
गिरीन्द्र मोहन ठाकुर, डॉ. विजय कुमार शाही, डॉ. व्यास नंदन शास्त्री, शारदानन्द सहनी और आफाक आजम ने भी अपने विचार साझा किए।
कार्यक्रम में विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं, शिक्षकों के साथ संग्रहालय कर्मियों ने भाग लिया। संग्रहालयाध्यक्ष डॉ. विमल तिवारी ने स्वागत उद्बोधन और धन्यवाद ज्ञापन किया जबकि मंच संचालन डॉ. शंकर सुमन ने किया। संगोष्ठी में तिरहुत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए संग्रहालय की भूमिका पर गहन चर्चा हुई।