अंतरराष्ट्रीय चट्टान दिवस पर पर्यावरण भारती ने किया वृक्षारोपण, बेल और नीम के लगाए पौधे

  • Post By Admin on Jul 13 2025
अंतरराष्ट्रीय चट्टान दिवस पर पर्यावरण भारती ने किया वृक्षारोपण, बेल और नीम के लगाए पौधे

लखीसराय : अंतरराष्ट्रीय रॉक (चट्टान) दिवस के अवसर पर रविवार को सरस्वती ज्ञान मंदिर परिसर, इटौन, मननपुर (चानन) में पर्यावरण भारती की ओर से पर्यावरण जागरूकता अभियान के तहत फलदार बेल और औषधीय मीठा नीम (कड़ी पत्ता) के कुल 15 पौधे लगाए गए। कार्यक्रम का नेतृत्व पर्यावरण प्रहरी व विद्यालय के प्रधानाचार्य रंजीत कुमार महतों ने किया, वहीं शिक्षक शक्ति कुमार ने सक्रिय सहयोग दिया।

इस मौके पर पर्यावरण भारती के संस्थापक व पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के प्रांत संयोजक राम बिलास शाण्डिल्य ने जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के खतरों पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि फ्रांस में तापमान 37 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है, चीन और अमेरिका समेत कई विकसित देश भी गर्मी, बाढ़ और अत्यधिक वर्षा जैसी आपदाओं की चपेट में हैं। भारत के हिमाचल प्रदेश में बादल फटने से 90 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि उत्तराखंड और दिल्ली में भी भारी बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है।

शाण्डिल्य ने कहा, “मानव ने प्रकृति के साथ अति छेड़छाड़ की है। प्रकृति को माता मानने की परंपरा से दूर हट जाने के कारण आज हम प्राकृतिक आपदाओं की मार झेल रहे हैं। पेड़-पौधे प्रकृति के आभूषण हैं। अगर हम इनका संरक्षण नहीं करेंगे तो प्रकृति भी हमें नहीं छोड़ेगी।”

उन्होंने भगवान श्रीराम के वनवास का उदाहरण देते हुए कहा कि प्राचीन काल में भी प्राकृतिक संतुलन का महत्व समझा जाता था। उन्होंने शिवभक्तों से अपील की कि इस सावन कम से कम एक बेल का पौधा भोलेनाथ के नाम पर लगाएं और पांच वर्षों तक उसकी देखभाल करें। इससे न केवल बिल्वपत्र मिलेगा, बल्कि गर्मियों में बेल का फल भी प्राप्त होगा।

कार्यक्रम के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय चट्टान दिवस के महत्व को भी रेखांकित किया गया। शाण्डिल्य ने बताया कि इस दिवस की शुरुआत वर्ष 1985 में इथियोपिया से हुई थी, जिसका उद्देश्य है – “विश्व मानव चट्टानों और उनके महत्व को समझे।” उन्होंने कहा कि चट्टानें पृथ्वी की संरचना का 74% हिस्सा बनाती हैं और इनमें मौजूद सिलिका से क्रिस्टल बनते हैं। ग्रेनाइट, क्वार्ट्ज, फेल्डस्पार जैसी सामान्य चट्टानों की जानकारी प्रत्येक व्यक्ति को होनी चाहिए। उन्होंने कन्याकुमारी स्थित स्वामी विवेकानंद रॉक का भी उल्लेख किया।

वृक्षारोपण कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग और छात्र-छात्राएं शामिल हुए। प्रमुख रूप से रंजीत कुमार महतों, शक्ति कुमार, बहादुर महतों, परी, अंकिता, निभा, मुस्कान, रानी, मौसम, मनीषा, सपना, पायल, कोमल ठाकुर, चाँदनी, वीरा कुमारी, अंजलि, रोशनी, रूद्राक्षी, मोनिका, अंकित, अंकुश, चंदन, निरंजन राठौर, राजेन्द्र कुमार चौधरी, देव, यीशू कुमार, राहुल, शुभम, राजीव, सोनू, नीरज, गोलू, विक्रम, पीयूष, आयुष आदि की सक्रिय भागीदारी रही।