कौशल विकास योजना से युवाओं को मिल रहे स्वरोजगार के अवसर : डॉ. चक्रपाणि

  • Post By Admin on Jan 18 2024
कौशल विकास योजना से युवाओं को मिल रहे स्वरोजगार के अवसर : डॉ. चक्रपाणि

लखीसराय: गुरूवार को टाउन हॉल में श्रम अधिकार दिवस कार्यक्रम का बिहार राजपाल श्रमिक आयोग डॉक्टर चक्रपाणि हिमांशु, उपाध्यक्ष बिहार राज्य बाल श्रमिक आयोग राजीव कांत मिश्रा एवं श्रम अधीक्षक ऋतुराज एवं महिला श्रमिक बेबी देवी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया।इ स अवसर पर 25 श्रमिकों को लेबर कार्ड दिया गया। बाल श्रमिक बजरंगी कुमार को 3000 का चेक, ममता देवी को स्वाभाविक मृत्यु पर शताब्दी योजना 30000 दिया गया। रूबी देवी को 50000 विवाह सहायता राशि, निर्मला देवी को बीसीडब्ल्यू के स्वाभाविक मृत्यु पर 200000 एवं बेबी देवी को बिहार शताब्दी दुर्घटना मृत्यु योजना के तहत 100000 दिया गया।

कार्यक्रम में डॉक्टर चक्रपाणि हिमांशु उपस्थित लोगों के बीच श्रम के प्रति जागरूक रहने की बात कही। साथ ही उन्होंने कहा कि श्रम विभाग ही एक ऐसा विभाग है जहां जन्म से लेकर मृत्यु तक की योजनाओं का लाभ दिया जाता है। प्रदेश के असंगठित क्षेत्र के निर्माण कामगारों को सबल बनाए जाने के लिए राज्य में श्रम संसाधन विभाग के अंतर्गत बिहार भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड कार्यरत है। बोर्ड के तहत निबंधित कामगारों को लाभ दिए जाने हेतु अनेक योजनाओं का संचालन किया जाता है, यथाः ‘मृत्यु लाभ’, ‘दाह संस्कार’, ‘मातृत्व लाभ’, ‘निर्माण श्रमिकों के बच्चों के शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता’, ‘विवाह के लिए वित्तीय सहायता’, ‘वार्षिक चिकित्सा सहायता योजना’, ‘दुर्घटना अनुदान’, ‘पारिवारिक पेंशन’, ‘विकलांगता पेंशन’, ‘नकद पुरस्कार’, ‘पितृत्व लाभ’ आदि पर कार्य किया जा रहा है। आपसे अनुरोध होगा कि आने वाले समय में योजनाओं से जुड़ कर आप लाभ उठाएं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि स्कूल हो या कॉलेज वहीं पर अधिकारी जाकर बच्चों को इन योजनाओं के बारे में जानकारी दे ताकि वे बच्चे अपने माता पिता को इन योजनाओं से अवगत करा सकें। आप लोग इन योजनाओं का प्रचार प्रसार करें ताकि ज्यादा से ज्यादा श्रमिक भाइयों को इसका लाभ मिल सके। प्रदेश के युवाओं के कौशल विकास और रोजगार से जोड़े जाने के लिए श्रम संसाधन विभाग, बिहार के तहत संचालित बिहार कौशल विकास मिशन निरंतर क्रियाशील है। बिहार कौशल विकास मिशन के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं जो श्रमिकों, युवाओं और पूर्व से विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत वैसे कामगार जो काम तो जानते हैं, लेकिन उनकी पहचान नहीं है। उनको विशेष पहचान दिए जाने और प्रमाणीकरण को लेकर भी प्रशिक्षण संचालित किया जा रहा है। जिसका लाभ सभी प्रदेश के युवा उठाएं और अपने को रोजगारपरक बनाएं।

इसके अलावा बैठक का मुख्य उद्देश्य बाल श्रम से जुड़े बच्चों के विमुक्त कराने के लिए जागरूकता अभियान के प्रचार प्रसार को लेकर रहा। इसके अंतर्गत प्रचार-प्रसार, मेला, सूचना बूथ, कला और शिल्प गतिविधियों, दृश्यों, व्यक्तिगत कहानियों, कार्यशाला का आयोजन, सोशल मीडिया अथवा प्रखंड स्तर पर जन-जागरूकता अभियान चलाकर बच्चों को बाल श्रम से मुक्त कराया जा सकता है। ईंट भट्ठों पर कार्यरत बाल श्रमिकों को विमुक्त कराने के लिए विशेष छापेमारी और धावादल के कार्य करने पर भी सहमति बनी। सामाजिक-आर्थिक पिछड़ापन जो बाल मजदूरी को बढ़ावा देने में मुख्य कारक के तौर पर काम करता है, उसे खत्म करना अत्यंत आवश्यक है। आजादी के बाद हमारा विभाग दिन प्रतिदिन नए मुकाम हासिल कर रहा है। जहां एक ओर संसाधनों जैसे लैपटॉप, गाड़ी, मोबाइल इत्यादि की कमी थी वहीं आज इसकी उपलब्धता में 434 श्रम प्रवर्त्तन पदाधिकारी कार्यलाय संचालित किए जा रहे हैं। ईंट भट्टों पर काम कर रहे बच्चों को विशेष रूप से विमुक्त किया जाए और इस पर विशेष अभियान चलाकर टीम के सदस्य धावादल बनाकर छापेमारी करें। राज्य में आयोजित होने वाले मेलों या अन्य आयोजनों में एक स्टॉल बाल श्रम के जागरूकता को लेकर लगाएं और लोगों को इसके बारे में जागरूक करें। अधिकारियों के बीच आपसी संबंध जितना अच्छा होगा तो कार्य का परिणाम भी अच्छा निकलेगा। इसके साथ ही घर-घर के साथ अपार्टमेंट को चिन्हित किया जाए जहां बाल श्रम करवाया जाता है और बच्चों को विमुक्त किया जाए। पंचायत स्तर पर जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक कर जागरूकता फैलाई जाए। यही एक मात्र विभाग है जिसमें जन्म से लेकर मृत्यु तक की योजनाओं का लाभ लाभुकों को दिया जा रहा है। हाल ही में सभी जिले के जिलाधिकारियों के द्वारा जनसंवाद के माध्यम से विभाग के जिस तरह से योजनाओं का प्रचार-प्रसार किया गया, ठीक उसी प्रकार से सभी अधिकारी विद्यालय स्तर पर जाकर बच्चों के अविभावकों को श्रम विभाग के तहत सभी योजनाओं को बताया जाए। बाल श्रम करवाते पकड़े गए तो कितना भी प्रभावशाली व्यक्ति क्यों ना हो 20000 से 50000 तक जुर्माना या 6 से 2 साल तक का कारावास होगा। सरकारी कर्मियों के यहां पकड़े गए तो विभागीय कार्यवाही किया जाएगा। बाल श्रम बच्चों को बचपन, शिक्षा एवं स्वास्थ्य से वंचित करता है। विमुक्त बाल श्रमिकों को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। अन्य राज्यों से विमुक्त बाल श्रमिकों की घर सुनिश्चित किया जाता है। विमुक्त बाल श्रमिकों के माता-पिता इंदिरा आवास, राशन कार्ड, निशुल्क स्वास्थ्य सुविधा देने की बात राज्य सरकारी योजना 2017 में की गई है, परवरिश योजना का लाभ दिलाया जाता है।

उक्त अवसर पर बिहार राज्य बाल श्रम आयोग के उपाध्यक्ष, राजीव कान्त मिश्रा ने कहा कि कुशल नेतृत्व एवं आपसी सहयोग से श्रम संसाधन विभाग लगातार अपनी नई मुकाम को हासिल कर रहा है। जिस तरह से धावादल काम कर रहा है उसका कार्य काफी सराहनीय है। पहले के तुलना में अब सीएलटीएस भी काफी अपडेट हो रहा है। मेले या फिर जिला महोत्सव के जरिए लोगों के बीच बाल श्रम को लेकर जागरूकता अभियान चलाई जाए। जिस तरह से पंचायत स्तर पर चाइल्ड फ्री मॉडल पर कार्य हो चुका है। फिर अगर आपसी समन्वय की जो कमी रह गई है उसे दूर कर और बेहतर बनाई जाए। सरकार और विभाग के बीच समन्वय जितना अधिक होगा परिणाम भी उतने ही बेहतर देखने को मिलेंगे। सोशल मीडिया के विभिन्न आयामों पर प्रचार प्रसार का होना लोगों पर विशेष असर डालता है। साथ ही वैसे बच्चे जो किसी कारणवश नशा के शिकार हो गए हैं उनको भी मुख्यधारा से जोड़ा जाए। मैं खुद लगातार बैठक कर रहा हूं ताकि अगर कहीं कमी रह गई है या फिर किसी को कोई दिक्कत हो रही हो तो उसका समाधान निकल पाए। लगातार लोगों से संपर्क करने का ही सकारात्मक परिणाम है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में 12 बच्चे भी मुक्त किए गए। जिस दिन प्रदेश बाल श्रम से विमुक्त हो जाएगा उस दिन सभी का अतुलनीय योगदान अमिट छाप छोड़ जाएगा।

कार्यक्रम में 25 लाभुकों को श्रम विभाग के द्वारा श्रमिक लाभ प्रदान करवाया गया। इस अवसर पर श्रम परिवर्तन पदाधिकारी क्रमशः अनिकेत कुमार, संजय कुमार चौधरी, राम जीवन कुमार, रंजीत कुमार, आशीष कुमार आदि ने विचार व्यक्त किया।