लगातार प्रगति के पथ पर अग्रसर बरौनी रिफाइनरी ने पूरे किए स्वर्णिम 58 वर्ष

  • Post By Admin on Jan 14 2023
लगातार प्रगति के पथ पर अग्रसर बरौनी रिफाइनरी ने पूरे किए स्वर्णिम 58 वर्ष

बेगूसराय: पहले इंडियन फिर ऑयल को आत्मसात कर पेट्रोलियम जरूरत को पूरा करने के साथ-साथ समाज के विकास में भी सहयोगी इंडियन ऑयल के बरौनी रिफाइनरी ने अपने स्थापना का स्वर्णिम 58 वर्ष पूरा कर लिया है। 15 जनवरी 1965 को तत्कालीन केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री प्रो. हुमायूं कबीर द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया एक मिलियन मैट्रिक टन शोधन (एमएमटीपीए) क्षमता वाला बरौनी रिफाइनरी आज छह एमएमटीपीए शोधन कर रहा है तथा तेजी से हो रहे विस्तारीकरण के बाद कुछ ही वर्षों में नौ एमएमटीपीए का शोधन शुरू हो जाएगा।

अब यहां सिर्फ पेट्रोल और डीजल ही नहीं, हवाई जहाज के तेल का भी उत्पादन हो रहा है तथा पेट्रोकेमिकल युग की शुरुआत के लिए संयंत्रों की स्थापना का कार्य प्रगति पर है। बरौनी रिफाइनरी ना केवल भारत और पड़ोसी देशों की इंधन जरूरत को पूरा कर रहा है। बल्कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ बिहार के औद्योगिक प्रगति में भी मील का पत्थर साबित हो रहा है। इसके साथ ही मेक इन इंडिया पहल को भी तेजी से बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रिफाइनरी विस्तार परियोजना के तहत कच्चे तेल की शोधन क्षमता को छह से बढ़ाकर नौ मिलियन मीट्रिक टन प्रतिवर्ष करने का शिलान्यास किया है। यह विशाल परियोजना मौजूदा रिफाइनरी परिसर में नई यूनिटों की स्थापना, यूनिटों के पुनरुद्धार, ऑफसाइट सुविधाओं में सुधार आदि द्वारा कार्यान्वित की जाएगी। इसके साथ ही एक विश्वस्तरीय पॉलिप्रोपिलीन यूनिट भी कमीशन होगी। जिससे डाउनस्ट्रीम प्लास्टिक उद्योगों का मार्ग प्रशस्त होगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के महत्वाकांक्षी अभियान ''संकल्प से सिद्धि'' को आत्मसात करते हुए इंडियन ऑयल द्वारा बरौनी रिफाइनरी में स्थापना काल से अबतक की सबसे बड़ी परियोजना बीआर-9 के तहत काम तेजी से चल रहा है। इससे बिहार में पेट्रोकेमिकल युग की शुरुआत होगी तथा 0.2 एमएमटीपीए पॉलिप्रोपिलीन का उत्पादन होगा। पॉलिप्रोपिलीन का उत्पादन शुरू होने से ना केवल बिहार और आसपास के राज्यों में प्लास्टिक से जुड़े उद्योग को बड़ी मजबूती मिलेगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर भी स्वरोजगार का सृजन होगा। अब तक पॉलिप्रोपिलीन बिहार में नहीं बनने के कारण प्लास्टिक की सभी वस्तुएं देश के अन्य राज्यों से मंगाई जाती थी। लेकिन बरौनी रिफाइनरी में इसका निर्माण शुरू होने से बड़े पैमाने पर इससे जुड़े उद्योग-धंधे शुरू होंगे। हेल्थ केयर के क्षेत्र में पीपीई किट, डायपर, मास्क, सिरिंज, एप्रन आदि निर्माण उद्योग आसानी से शुरू हो सकता है। आटोमोटिव क्षेत्र में डैशबोर्ड, बंपर, होम अप्लायंस के क्षेत्र में आउटडोर बॉडी, हैंडल, फैब्रिक्स, पीवीसी पाइप, बुके निर्माण उद्योग शुरू होगा। सबसे बड़ी बात है कि सीमेंट पैकिंग ही नहीं, चावल समेत तमाम खाद्य पदार्थों के पैकिंग उद्योग के साथ-साथ खेल-खिलौने, कुर्सी, टेबल, प्लास्टिक के डिब्बे आदि के निर्माता को जब स्थानीय स्तर पर पॉलिप्रोपिलीन मिलने लगेगी तो देश के बड़े-बड़े औद्योगिक समूह बिहार में निवेश करना चाहेंगे। वर्तमान में आधुनिकतम पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों ने रिफाइनरी को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार पर्यावरण-अनुकूल हरित ईंधन के उत्पादन में सक्षम बनाया है। बरौनी रिफाइनरी लो सल्फर और हाई सल्फर, दोनों प्रकार के क्रूड को प्रोसेस करने में सक्षम है तथा दिसम्बर 2019 से उच्चतम मानक के पेट्रोल एवं डीजल का उत्पादन कर रही है। 2021 से इंडियन ऑयल के विश्वस्तरीय प्रीमियम-ग्रेड 100-ऑक्टेन एमएस एक्सपी-100 के रोलआउट और दीर्घकालिक ईबीएमएस प्रेषण सुविधा कमीशनिंग किया गया है। बरौनी रिफाइनरी द्वारा भारत में पहली और दुनिया में तीसरी जीसीटी की स्थापना की सराहना की जो पारंपरिक कूलिंग टॉवर का ऊर्जा कुशल और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प है।

उल्लेखनीय है कि 15 जनवरी 1965 को तत्कालीन केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री प्रो. हुमायूं कबीर द्वारा एक मिलियन मैट्रिक टन शोधन क्षमता के बरौनी रिफाइनरी का उद्घाटन किया गया था। 1969 में इसकी क्षमता एक से बढ़ाकर तीन एमएमटीपीए कर दिया गया। इसके बाद 1999 में रिफाइनरी की क्षमता का नवीकरण कर तीन से छह एमएमटीपीए किया गया था। और उसके बाद अब इसकी क्षमता छह से बढ़ाकर नौ एमएमटीपीए किया जा रहा है। बीआर विस्तार परियोजना के लक्ष्य पर काम तेजी से चल रहा है। बरौनी रिफाइनरी को 1965 में असम के कम सल्फर कच्चे तेल (स्वीट क्रूड) को शोधित करने के लिए डिजाइन किया गया था। पूर्वोत्तर में अन्य रिफाइनरियों की स्थापना के बाद असम में कच्चे तेल की उपलब्धता कम हो रही थी। इसलिए स्वीट क्रूड अफ्रीका, नाइजीरिया और मलेशिया से मंगाया जा रहा था। वर्तमान में रिफाइनरी को हल्दिया के माध्यम से पूर्वी तट पर स्थित पारादीप से पाइपलाइन द्वारा कच्चा तेल प्राप्त होता है। बरौनी रिफाइनरी में विभिन्न सुधारों और विस्तार परियोजनाओं के साथ उच्च सल्फर क्रूड को संसाधित करने की क्षमता को जोड़ा गया है। जो सऊदी अरब और इराक जैसे मध्य पूर्व के देशों से आयातित होता है। उच्च सल्फर कच्चा तेल, कम सल्फर कच्चे तेल से सस्ता होता है।

बरौनी रिफाइनरी मुख्य रूप से डीजल उत्पादक रिफाइनरी है। इसका 54 प्रतिशत से अधिक उत्पाद मिश्रण एचएसडी के रूप में है। उत्पादों में डीजल, पेट्रोल, एलपीजी, एटीएफ, नेप्था, कच्चा पेट्रोलियम कोक, फर्नेस ऑयल, कार्बन ब्लैक फीड स्टॉक, सल्फर और कोलतार है। जो कि बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की इंधन मांग को पूरा करती है। नेपाल ऑयल कॉरपोरेशन भी बरौनी रिफाइनरी से एलपीजी समेत अन्य ईंधन आयात करता है। जुलाई 2022 में बरौनी आए इंडियन ऑयल के अध्यक्ष एस.एम. वैद्य ने कहा था कि बीआर-9 विस्तार परियोजना बरौनी रिफाइनरी के क्षितिज को बदल देगी। यह पूर्वी भारत और नेपाल में ईंधन की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए इंडियन ऑयल के लिए एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण परियोजना है।