ईद और सेवईं: भारत में कैसे बनी इस त्योहार की पहचान

  • Post By Admin on Apr 01 2025
ईद और सेवईं: भारत में कैसे बनी इस त्योहार की पहचान

नई दिल्ली: ईद का त्योहार आते ही घरों में सेवईं की मिठास घुलने लगती है। मुसलमानों के इस बड़े पर्व पर हर घर में सेवईं बनाई जाती है और मेहमानों को खिलाई जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस्लाम में सेवईं का कोई धार्मिक महत्व नहीं है? दरअसल, सेवईं ईद का पारंपरिक व्यंजन नहीं, बल्कि यह भारत में समय के साथ इस त्योहार से जुड़ गई।

ईद पर सेवईं का कोई धार्मिक रिवाज नहीं

ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक, इस्लाम के मूल स्वरूप में ईद पर सेवईं खाने की परंपरा का कोई उल्लेख नहीं मिलता। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब ने ईद के दिन कुछ मीठा खाने की परंपरा शुरू की थी, लेकिन उस समय सेवईं नहीं, बल्कि खजूर, शहद और हलवा खाया जाता था। सऊदी अरब समेत कई इस्लामी देशों में आज भी ईद के दिन खजूर और पारंपरिक मिठाइयों का सेवन किया जाता है। हालांकि, मीठा खाने से शरीर को ऊर्जा मिलती है और भूख देर से लगती है, इसी कारण धीरे-धीरे सेवईं को ईद के विशेष व्यंजन के रूप में अपनाया गया।

भारत में सेवईं का सफर: कहां और कब हुई शुरुआत?

इतिहासकार राना सफवी की किताबों में सेवईं के भारत में प्रचलन का दिलचस्प जिक्र मिलता है। भारत में पहली बार सेवईं 19वीं सदी में मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के दरबार में बनी थी। दिल्ली के लाल किले में आयोजित शाही दावत में दूध के साथ पकाई गई सेवईं परोसी गई थी। यह व्यंजन इतना लोकप्रिय हुआ कि धीरे-धीरे भारत में ईद के दिन इसे बनाने की परंपरा शुरू हो गई। इसके बाद, सेवईं को ईद का एक अनिवार्य व्यंजन मान लिया गया।

भारत में सेवईं के अलग-अलग रूप

भारत में सेवईं सिर्फ मुस्लिम समुदाय तक सीमित नहीं, बल्कि इसे देश के कई हिस्सों में अलग-अलग नामों और तरीकों से बनाया जाता है। उत्तर भारत में दो तरह की सेवईं प्रचलित हैं—एक बाल की तरह पतली बनारसी सेवईं और दूसरी थोड़ी मोटी, जिसे पारंपरिक तौर पर दूध में पकाकर बनाया जाता है। पंजाब और हरियाणा में इसे 'जवें' के नाम से जाना जाता है, जहां महिलाएं घर पर इसे तैयार करती हैं।

  • कर्नाटक में इसे शेविगे कहा जाता है, जो चावल या रागी के आटे से बनाई जाती है।
  • महाराष्ट्र में शेविगे को दुल्हन के साथ दहेज में भेजने की परंपरा है।
  • गुजरात में सेवईं को हाथों से लंबा और पतला बनाया जाता है।

राजस्थान और सिंधी समुदाय में इसे फेनी कहा जाता है, जो हाथ से खींचकर बनाई जाती है। लखनऊ में खासतौर पर किमामी सेवईं बनाई जाती है, जिसमें बारीक सेवईं को चाशनी, मावा और ड्राई फ्रूट्स के साथ मिलाकर पकाया जाता है।

सेवईं: ईद की पहचान या भारतीय संस्कृति का हिस्सा?

सेवईं का ईद से जुड़ना पूरी तरह से भारतीय परंपरा का प्रभाव माना जा सकता है। मुगलकाल से चली आ रही इस परंपरा ने भारतीय मुसलमानों के बीच गहरी जड़ें जमा लीं और आज यह ईद की एक पहचान बन चुकी है। हालाँकि, इस्लाम में इसका कोई धार्मिक आधार नहीं है, लेकिन भारत में इसे अपनाने की वजह से यह त्योहार का अहम हिस्सा बन गई है।

तो अगली बार जब आप ईद पर सेवईं का लुत्फ उठाएं, तो यह भी याद रखें कि यह मिठास भारत की साझी सांस्कृतिक विरासत की एक खूबसूरत मिसाल है।