शनि अमावस्या 2025 : इन कार्यों से बचें, वरना पड़ सकता है नकारात्मक असर
- Post By Admin on Aug 23 2025

नई दिल्ली : 23 अगस्त को साल की आखिरी शनि अमावस्या है। हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन पितरों की तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करने की परंपरा निभाई जाती है। इसके अलावा, अमावस्या की रात से जुड़ी कई ज्योतिषीय मान्यताएं और सावधानियां भी हैं, जिन्हें समझना और उनका पालन करना शुभ माना जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अमावस्या की रात में तामसिक ऊर्जा अधिक सक्रिय रहती है। इसका अर्थ है कि यह रात नकारात्मक और अशांत ऊर्जा से परिपूर्ण होती है, जो लोगों के मन, भावनाओं और व्यवहार पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। चंद्रमा की अनुपस्थिति के कारण मानसिक अस्थिरता, बेचैनी और अवसाद की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए इस रात को संयम और सतर्कता के साथ बिताना जरूरी होता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस रात योग, प्राणायाम और ध्यान करना अत्यंत लाभकारी होता है। इससे न केवल मन को स्थिरता मिलती है, बल्कि नकारात्मक प्रभावों को भी कम किया जा सकता है। ध्यान और मंत्र जाप से मानसिक शांति बढ़ती है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। यदि व्यक्ति पहले से किसी गुरु मंत्र का अभ्यास कर रहा है, तो अमावस्या की रात उसका नियमित जाप करना विशेष लाभकारी माना जाता है।
ज्योतिष शास्त्र और धार्मिक मान्यताओं में कहा गया है कि अमावस्या की रात किसी अनजान व्यक्ति से कोई वस्तु न लेना चाहिए। ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा हमारे जीवन में प्रवेश कर सकती है। इसी प्रकार, इस रात कपड़े बाहर सुखाने से बचने की सलाह दी जाती है। पुराने विश्वासों के अनुसार, रात में कपड़े बाहर रखने से अशुभ प्रभाव पड़ सकते हैं।
अमावस्या की रात श्मशान घाट, सुनसान स्थान या पुराने पेड़ों के पास जाने से भी बचना चाहिए। ऐसे स्थानों पर नकारात्मक ऊर्जा अधिक होती है और इससे मानसिक अस्वस्थता और भय की भावना बढ़ सकती है। इसके बजाय, घर में पूजा स्थलों पर ध्यान करना, दीप जलाना और अपने इष्ट देव के नाम का जाप करना शुभ माना जाता है।
धार्मिक प्रथाओं के अनुसार, इस दिन पितरों के लिए तर्पण और दान-पुण्य करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। दान और पुण्य कर्म से आत्मिक शांति मिलती है, परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और पूर्वजों की आत्मा को प्रसन्न किया जा सकता है।
अमावस्या की रात विशेषकर अपने घर के मंदिर या पवित्र स्थान पर समय बिताना लाभकारी होता है। यह रात सकारात्मक कार्यों, आत्मनिरीक्षण और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए आदर्श मानी जाती है। इस अवसर का सही उपयोग न केवल मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को मजबूत करता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है।
इस प्रकार, अमावस्या की रात को संयमित रहना, धार्मिक अनुष्ठान करना, योग और ध्यान में समय बिताना और तामसिक गतिविधियों से दूर रहना न केवल धार्मिक दृष्टि से शुभ है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन बनाए रखने में भी मदद करता है।