तीन दिवसीय चाराडीह मेले में जुटने लगे श्रद्धालु भक्त
- Post By Admin on Apr 21 2024
बड़हिया टाल के ऐजनी में है बाबा चैहरमल की जन्मस्थली
लखीसराय : बाबा चैहरमल की कहानी जिले के बड़हिया टाल, पटना जिले के मोकामा टाल एवं शेखपुरा जिले से जुड़ा हुआ है। बड़हिया टाल के ऐजनी में बाबा चैहरमल का जन्मस्थान माना जाता है जबकि शहीद स्थल मोकामा टाल में है जहां प्रतिवर्ष चैत पूर्णिमा के दिन भव्य मेला का आयोजन होता आ रहा है। इस मेला में पूरे राज्य ही नहीं देश के विभिन्न भागों से खासकर पासवान जाति के लोगों का जूटान होता है। यहां एक दिन पूर्व से ही लोग पहुंचना प्रारंभ कर देते हैं। लखीसराय जिले के बड़हिया टाल ऐंजनी घाट के आसपास के काफी संख्या के लोग इस मेले में भाग लेते हैं। बाबा चैहरमल के बारे में बताया जाता है कि वे काफी धार्मिक प्रवृत्ति के थे और महिलाओं की काफी इज्जत किया करते थे। उनके साथ जमींदार घराने की महिला रेशमा का एक तरफा प्यार की कहानी लोग बताते नहीं थकते हैं। 23 अप्रैल को बाबा चैहरमल मेले के आयोजन की तैयारी अभी से ही प्रारंभ हो गई है। प्रेम का साधारण अर्थ दो दिलों का माना जाता है परंतु प्रेम के कई प्रकार होते हैं जैसे मां पुत्र का प्रेम पिता पुत्र का प्रेम भाई-बहन का प्रेम पति-पत्नी का प्रेम अन्य विभिन्न संबंधियों के अनेकों प्रकार के रिश्तों से संबंधित माना जाता है। बाबा चैहरमल प्रेम प्रसंग में रेशमा को बहन के रिश्ता का दर्जा बाबा चैहरमल द्वारा दिया गया है। श्री राम का सीता से शादी पूर्व बगीचे में एक दूसरे के नजर मिलते ही प्रेम की शुरुआत था जो बाद में राजा जनक द्वारा सीता स्वयंवर में धनुष तोड़ने पर शादी का संबंध बना जिसका ग्रंथ रामायण में वर्णित है। ठीक उसी प्रकार रेशमा चैहरमल दोनों का प्रथम मिलन मोकामा के तुलसी चैर कुआं पर पानी पीते समय प्रेम की शुरुआत हुई थी। लेकिन रेशमा चैहरमल का प्रेम प्रसंग एक तरफा था क्योंकि बाबा का सिद्धांत किसी की बहू बेटी को अपने बेटी बहन के रूप में देखना था। मोकामा के एक बड़े जमीदार की जमीन टाल के कई गांव में फैली थी उसमें से एक मौजा ऐजनी में भी थी। जिसकी आज भी उनके हिस्सेदारों की जमीन मौजा रायपुर ऐंजनी से सटा है। इन खेतों की रखवाली बाबा चैहरमल के पिता बिहारी और उनके चाचा बंसी राम बधवार के रूप में करते थे। यह प्रचलन आज भी टाल के विभिन्न मौजों में पासवान ढाढी समाज जारी रखे हुए हैं। अन्य दिनों की भांति एक दिन जमींदार अपने खेतों को देखने ऐंजनी गांव घोड़े पर सवार होकर गए तो बाबा से मुलाकात हो गई और दोनों दोस्त बन गया था। जग जाहिर है दोस्त की बहन बहन होती है। माघी पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का प्रचलन वर्षों से चली आ रही है। इस कहानी की शुरुआत भी माघी पूर्णिमा गंगा स्नान से ही जुड़ी हुई है। मोकामा घाट में गंगा स्नान और अपने दोस्त से मिलने के उद्देश्य से अच्छे वस्त्र पहनकर घोड़े पर सवार बाबा चैहरमल गंगा स्नान को लेकर निकले लेकिन रास्ते में ही उनकी प्यास जाग गई। दूर-दूर तक नजर दौड़ाने पर एक कुएं पर नजर पड़ी जहां रेशमा अपने सहेलियों के संग स्नान कर रही थी। प्यासे बाबा पानी पीने कुआं पर गए और पानी मांगे तब रेशम की नजर अपूर्व सौंदर्यशाली बाबा चैहरमल पर पड़ी और रेशमा आश्चर्य से देखने लगी और अपनी दिल दे बैठी। उस समय से रेशमा चैहरमल से शादी करने को सोच लिया था और बाबा को पाने का अनेक प्रयास किया जिसकी कहानी बहुत लंबी है। क्योंकि यह प्रेम एक पक्षीय था जिसे बाबा ने कभी स्वीकार नहीं किया। रेशमा चैहरमल की संपूर्ण प्रेम प्रसंग में कहीं भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष किसी रूप में बहन नाता के विरुद्ध कोई गलत व्यवहार नहीं मिलता है। अंत में रेशमा अपने प्रेम में असफल देख अपने भाई के पास छेड़खानी का आरोप लगाकर चैहरमल के पिता बिहारी, चाचा बंदी राम को पकड़वाकर जेल भेज दिया एवं अनेकों कष्ट एवं यातना दी। फिर भाई द्वारा बाबा चैहरमल को पकड़ने अपने कुछ सैनिकों को लेकर चाराडीह जहां बाबा रोज गाय चराया करते पहुंचकर भयंकर युद्ध कर चैहरमल से युद्ध में पराजित हो गए थे। उस युद्ध में जमींदार के पिता मारे गए थे। धर्मबल युद्ध की जीत के बाद भी रेशमा द्वारा बाबा को पाने के लिए षड्यंत्र जारी रखा गया परंतु धर्म के धनी बाबा चैहरमल ने दो समुदाय के धर्म, प्रतिष्ठा और मर्यादा को अपने बलिदान से भाई-बहन रिश्ते के सिद्धांत की स्थापना किया। सतयुग, द्वापर त्रेता सभी युग में यहां तक की कलयुग में भी अनेक कहानियां बड़े-बड़े राजा महाराजाओं द्वारा युद्ध कर शादियां करने की इतिहास से भरा पड़ा है। लेकिन बाबा चैहरमल जैसा सैद्धांतिक इतिहास हजारों लाखों में एकाध ही मिलते हैं। ऐसे ही महान सिद्धांतों के यादगार में प्रत्येक वर्ष मोकामा ऐंजनी के बीच चाराडीह में पासवान समुदाय का लाखों में विशाल मेला का आयोजन होता रहा है। आज के समय में अनेकों लोग अपने गांव पास पड़ोसी यहां तक की अपने निकट संबंधियों से प्रेम कर शादियों का रूप दे रहे हैं जो बाबा के सिद्धांतों के विरुद्ध है। ग्राम ऐंजनी बाबा चैहरमल जन्मस्थली के पूर्व मुखिया सह जिला बीस सूत्री सदस्य अशोक पासवान दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालु भाई बहनों से आग्रह किया है कि बाबा चैहरमल के सिद्धांतों को मानते हुए पूजा करें जो हमारे समाज द्वारा उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने बताया कि मंदिर में बाबा के बगल में बहन रेशम की भी एक पिंडी रहती है। इन्होंने श्रद्धालु मां बहनों से अनुरोध किया है कि जब उनकी पूजा पाठ करें तो वहां रेशमा पर सिंदूर का प्रयोग भूल से भी नहीं करें क्योंकि बाबा ने रेशमा को बहन के रूप में दर्जा दे रखा था और वह अविवाहित अग्निकुंड में जलकर मर गई थी। तब हम सब उनको अपनी बेटी बहन मानकर ही सभी श्रृंगार का प्रयोग करें। सिंदूर का प्रयोग बेटी बहन को अपमानित करने के समान होगा। साथ ही बाबा के बलिदान के सिद्धांतों के यह विरुद्ध होगा। अंत में श्री पासवान ने यह भी उन लोगों को खास्कर नौजवानों से आग्रह किया है कि वह रेशमा के विरुद्ध किसी प्रकार के अश्लील गाने या बजाने के कार्य पर रोक रखें। अगर यह गलत कार्य होता है तो उस पर कमिटी कठोर कार्यवाही को विवश होगी।