चुनावी माहौल में उपेक्षित हो रहे चैती छठ व्रती, सरकारी सुविधाएं गौण

  • Post By Admin on Apr 13 2024
चुनावी माहौल में उपेक्षित हो रहे चैती छठ व्रती, सरकारी सुविधाएं गौण

लखीसराय : इस चुनावी महासंग्राम में जिला प्रशासन, राजनैतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने लोक आस्था के महान पर्व चैत्र नवरात्र और चैती छठ व्रतियों की सुविधाओं का बलिदान देकर आम अवाम के व्रती को कहीं बिन पानी वाली पोखर में स्नान कर अर्घ्य देने तो कहीं पूर्णतः प्रदूषित पानी में पर्व मनाने को विवश कर दिया है। यह चार दिवसीय अनुष्ठान हिंदू समाज का सबसे पवित्र और संयमित पर्व है, जिसमें छठ व्रती को उपेक्षित होकर सूर्य उपासना करने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

राजनैतिक चकक्लस में हिंदू का सर्वश्रेष्ठ लोक आस्था और उपासना का पर्व चैत्र नवरात्र और चैत्र छठ पर सुविधा गौण हो गया है। दूसरे शब्दों में ऐसा कह सकते है कि चैत्र छठ के उपासक की भावनाओं से जिला प्रशासन खेल रहा है और सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्त्ता तथा स्वयंभू समाजसेवी व हिन्दुत्व का राग अलापने वालों को हिंदुओं की सभ्यता, संस्कृति से मतलब नहीं रह गया है। वहीं, जनता के सेवक जिनका परिवार जनता की गाढ़ी कमाई से पलता है, वो भी जनसमस्याओं को दूर करने व व्यवस्था को दुरुस्त करने के बजाय सत्ता की चाटुकारिता में समय गवां रहे हैं। जिन्हें उपासकों की आह तो देर सबेर अवश्य ही लगेगी। स्थानीय स्वयंभू समाजसेवी भी चुनावी महासंग्राम में स्वाति नक्षत्र की ओस चाटने की बेताबी में इस पावन त्योहार को हर्षोल्लास के साथ मनाने, हिंदू संस्कृति को बचाने तथा इसका प्रचार-प्रसार करने से मुंह मोड़ लिए हैं। कुछ कथित हिन्दुत्व वादयोग्य ने राम के नाम रामनवमी पर जुलूसोत्सव कर नफरती माहौल बनाना ही अपना लक्ष्य बना रखा है जो आने वाले दिनों में समाज के लिए खतरा है। अन्यथा हिन्दुत्व के ठेकेदार धर्म, संस्कृति सभ्यता और लोक परंपरा के प्रति निश्चय ही ईमानदारी और क्षमतानुसार लोकजीवन के साथ जमीनी स्तर पर कार्य कर नवरात्र के उपासकों और अखंड छठ व्रतियों के चार दिवसीय अनुष्ठान को सुखद, सुविधापूर्ण व हर्षोल्लास के साथ निर्विघ्न रुप से सम्पन्न कराने में प्रयासरत हो लोकतांत्रिक व्यवस्था में आम जनों के बीच साधुवाद के पात्र होते। लेकिन दुर्भाग्य है राम के नाम रामनवमी पर हुड़दंग की तैयारी में समाज का एक बड़ा भाग लगा है।

स्थानीय निवासियों और हिंदू सभ्यता, संस्कृति तथा लोक परंपराओं को अक्षुण्णता के साथ संरक्षित रखने वाले चिंतकों ने बिहार सरकार और शासन-प्रशासन तथा स्वयंभू समाज सेवी से मांग किया है कि समय रहते समस्या को दूर करने का प्रयास कर लोक आस्था का महापर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाने में सहयोग करे अन्यथा शासन प्रशासन को लोक विद्रोह का सामना करना पड़ सकता है।